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गंगा में सीवेज प्रदूषण रोकने को 1050 करोड़ की मंजूरी

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नई दिल्ली | पटना में गंगा को स्वच्छ रखने के प्रयास के तहत शहर में सक्षम सीवेज ट्रीटमेंट ढांचा तैयार करने के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत 1050 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी का फैसला लिया गया है। यह राशि दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाने, मौजूदा एसटीपी के नवीनीकरण, दो पंपिंग स्टेशनों के निर्माण और लगभग 400 किलोमीटर तक का नया भूमिगत सीवेज नेटवर्क बिछाने पर खर्च की जाएगी। जल संसाधन मंत्रालय से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, शहर के सैदपुर क्षेत्र में जोन में 60 एमएलडी क्षमता वाले एसटीपी बनाने और 227 किलोमीटर के नए भूमिगत सीवेज नेटवर्क बिछाने के लिए कुल 600 करोड़ रुपये लागत का ठेका यूईएम इंडिया प्रा. लि. और ज्योति बिल्डटेक प्रा. लि. को दिया गया है। तीन अन्य फर्मो- लार्सन एंड टर्बो लि., वोल्टास लि. और जीएए जर्मनी जेवी को शहर के बेऊर क्षेत्र में 23 एमएलडी वाले एसटीपी के निर्माण, 20 एमएलडी के मौजूदा एसटीपी के नवीनीकरण और लगभग 180 किलोमीटर का नया भूमिगत सीवेज नेटवर्क बिछाने की अलग-अलग परियोजनाओं के लिए 450 करोड़ रुपये आवंटित होंगे।
इसके दायरे में सैदपुर और बेऊर क्षेत्र में क्रमश: 83 एमएलडी और 50 एमएलडी क्षमता वाले मुख्य पंपिंग स्टेशनों का निर्माण भी शामिल है। ठेकों में 10 साल की अवधि के लिए एसटीपी और सीवेज नेटवर्क के संचालन और रखरखाव की लागत भी शामिल है। इन परियोजनाओं का उद्देश्य न सिर्फ पटना की मौजूदा सीवेज व्यवस्था को सुधारना है, बल्कि अगले एक दशक तक शहर में बढ़ती आबादी की संभावना को ध्यान में रखकर सीवेज ट्रीटमेंट का लक्ष्य भी शामिल है।
विश्व बैंक के एक सर्वेक्षण के अनुसार, पटना ढांचागत विकास के मामले में दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ते शहरों में से एक है। इन परियोजनाओं के समयबद्ध परिचालन के बाद इन क्षेत्रों से गंगा नदी में किसी भी प्रकार असंशोधित जल नहीं बहाया जाएगा और इससे गंगा के पवित्रजल को प्रदूषित होने से बचाने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) निर्माण-कार्य की प्रगति की निगरानी करेगा। 100 वर्ग किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में फैले पटना शहर को छह सीवरेज क्षेत्रों – दीघा, बेऊर, सैदपुर, कंकड़बाग, पहाड़ी और करमाली चक में बांटा गया है। करमाली चक क्षेत्र में सीवेज संबंधित परियोजनाओं के लिए जल्दी ही अनुबंध किए जाने की उम्मीद है।

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