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बिहार में होगा ‘जेंडर लिटरेचर फेस्टिवल’

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पटना | बिहार में महिला विकास निगम तीन दिवसीय ‘जेंडर लिटरेचर फेस्टिवल’ यानी लिंग आधारित साहित्य महोत्सव का आयोजन करने जा रहा है। सात अप्रैल से शुरू होने वाले इस महोत्सव में देश-विदेश की महिला लेखिकाओं और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नोबेल पुरस्कार विजेता लेखकों को भी आमंत्रित किया जा रहा है।  राजधानी पटना में होने वाले इस साहित्य महोत्सव में न केवल देश-विदेश की महिला लेखिकाओं और साहित्यकारों को आमंत्रित किया जाएगा, बल्कि ऐसे पुरुष लेखकों को भी आमंत्रित किया जाएगा, जो महिलाओं के विषय में लिखते रहते हैं।
खास बात यह कि इस मौके पर थर्ड जेंडर (किन्नर) की समस्याओं और उसके समाधान पर भी विचार किया जाएगा।  महिला साहित्य सम्मेलन के संयोजक और पटना जेंडर रिसोर्स केंद्र (लिंग संसाधन केंद्र) के परामर्शी चंदन यादव ने आईएएनएस को बताया कि महिला विकास निगम समाज में लिंग आधारित भेदभाव मिटाने और महिलाओं को सबला बनाने के उद्देश्य से यह अनूठा महोत्सव आयोजित करेगा। इसमें न केवल महिलाओं के प्रति लोगों की मनोदशा से उत्पन्न समस्याओं पर चर्चा की जाएगी, बल्कि उसके समाधान पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस महोत्सव में थर्ड जेंडर (किन्नर) समुदाय की समस्याओं और उसके समाधान पर भी विचार किया जाएगा।  चंदन यादव ने कहा, “लिंग आधारित भेदभाव के कारण महिलाएं समाज में सबसे अधिक प्रताड़ित या उपेक्षित होती हैं। ऐसे में इस महोत्सव का उद्देश्य साहित्य के जरिए ऐसी सममस्याओं को न केवल सामने लाना है, बल्कि उसके समाधान पर भी विचार करना है।”
बिहार सरकार द्वारा स्कूलों में छात्राओं को साइकिल और पोशाक (ड्रेस) उपलब्ध कराने की योजना तथा महिला स्वयं-सहायता समूह की मांग पर राज्य में शराबबंदी लागू किए जाने के बाद साहित्य महोत्सव की इस पहल को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।  एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) के सदस्य सचिव शैवाल गुप्ता कहते हैं कि इस महोत्सव में देश-विदेश की महिला लेखकों और साहित्यकारों को ही नहीं, बल्कि वैसे पुरुष साहित्यकारों और लेखकों को भी आमंत्रित किया जाएगा, जो महिलाओं की समस्याओं को बराबर उठाते रहते हैं। गुप्ता इस महोत्सव की सलाहकार समिति के सदस्य भी हैं।
वहीं चंदन कहते हैं कि इस महोत्सव में अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नोबेल पुरस्कार विजेता लेखकों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। महोत्सव के दौरान पेंटिंग और कला के माध्यम से पुरुष, महिला और थर्ड जेंडर के टकराव को भी दर्शाने की कोशिश की जाएगी। साथ ही कविता पाठ के जरिए महिलाओं की स्थिति को भी परिलक्षित किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि इस महोत्सव के जरिए महिलाओं को न केवल जागरूक किया जाएगा, बल्कि उनके अधिकारों व उनकी शक्तियों की भी उन्हें जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।  चंदन यादव का कहना है कि सभी क्षेत्रों के ऐसे सचेतकों को भी इस महोत्सव में आमंत्रित किया जाएगा, जो लिंगभेद के टकराव को दूर करने में अपनी भूमिका निभाते रहे हैं।  कहा जा रहा है कि यह महोत्सव केवल बिहार के लिए ही नहीं, देश के लिए भी अनूठा प्रयोग होगा। बिहार की नीतीश सरकार पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण और सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दे चुकी है।

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