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सत्यपाल मलिक पर अमित शाह ने साधा निशाना- जब गवर्नर थे, तब क्यों चुप रहे?

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और उनके समर्थन में बयान दे रहे विपक्षी नेताओं पर निशाना साधा है। एक चैनल के कार्यक्रम में शाह से जब पूछा गया कि सरकार के खिलाफ बयान देने के बाद क्या सीबीआई ने उन्हें समन भेजा है, इस पर शाह ने कहा, ”ऐसा नहीं है। मेरी जो जानकारी है, उसके हिसाब से उन्हें दूसरी-तीसरी बार बुलाया गया है। जांच चल रही है। हमारे खिलाफ बोलने की वजह से उन्हें बुलाया गया है, ऐसा नहीं है।”

शाह ने कहा, ”लेकिन आपको यह भी पूछना चाहिए कि हमसे अलग होने के बाद ही सब बातें क्यों याद आती हैं? आत्मा तब जागृत क्यों नहीं होती, जब सत्ता में बैठे होते हैं। इसकी क्रेडिबिलिटी के बारे में सोचना चाहिए। जब आपने जो कहा, वह सब कुछ सही है तो जब आप गवर्नर थे, तब क्यों चुप रहे? खैर, ये सब सार्वजनिक चर्चा के मुद्दे नहीं हैं।”

‘हमने ऐसा कुछ नहीं कहा जो छुपाना पड़े’

गृह मंत्री ने कहा, ”मैं इतना जरूर देश की जनता को कहना चाहता हूं कि भाजपा की सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया, जिसे छुपाना पड़े। कोई अपने निहित राजनीतिक स्वार्थ के लिए हमसे अलग होकर कुछ कहता है तो उसका मूल्यांकन जनता और मीडिया को करना चाहिए। आप जब सत्ता में नहीं हैं, हमसे अलग हो गए हैं और जब आप आरोप लगाते हैं तो आरोप की वैल्यू और उसका मूल्यांकन दोनों करना चाहिए।”

उन्होंने कहा, ”हमारी पार्टी में वे लंबे समय से काम कर रहे थे। वे राजनाथ सिंह जी की टीम में थे। मेरे साथ भी रहे। मैं इतना ही कहना चाहता हूं कि वे लंबे अरसे से काम कर रहे थे। समय-समय पर कोई अपना रूप बदलता है तो इसमें क्या कर सकते हैं? जनता को उन्हें पहचानना चाहिए।”

सीबीआई का समन

दरअसल, सीबीआई ने मलिक को बीमा घोटाले में समन भेजा है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने पूर्व राज्यपाल को 27 और 28 अप्रैल को अपने अकबर रोड गेस्टहाउस पर पेश होने के लिए कहा है।

क्या हैं मलिक के आरोप?

17 अक्तूबर 2021 को राजस्थान के झुंझुनू में एक कार्यक्रम में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि कश्मीर जाने के बाद मेरे पास दो फाइलें आईं। इनमें से एक फाइल आरएसएस से जुड़े एक शख्स की थी जो पिछली महबूबा मुफ्ती और भाजपा की गठबंधन सरकार में मंत्री थे।

मलिक ने कहा वे पीएम मोदी के भी बेहद करीबी थे। मुझे सचिवों ने सूचना दी कि इसमें घोटाला है और फिर मैंने बारी-बारी से दोनों डील रद्द कर दीं। सचिवों ने मुझसे कहा कि दोनों फाइलों के लिए 150-150 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मैं पांच कुर्ता-पायजामे के साथ आया हूं और सिर्फ उसी के साथ यहां से चला जाऊंगा।

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