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यूपी: अधिग्रहित भवनों से निकले मंदिरों का किया जा रहा है संरक्षण और जीर्णोद्धार

वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में 27 प्राचीन मंदिरों की मणिमाला भी बनाई जा रही है। इसमें सभी मंदिर धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें से कुछ मंदिर विश्वनाथ जी के समय में स्थापित हुए थे, जबकि कुछ विग्रह अलग-अलग समय में स्थापित हुए थे। काशीपुराधिपति जी को मां गंगा से एकाकार कराने व धाम के विस्तारीकरण और सौंदर्यीकरण के लिए अधिग्रहित भवनों से निकले मंदिरों का भी संरक्षण व जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसमें बहुत से ऐसे मंदिर हैं, जिसका दर्शन बहुत से श्रद्धालु पहली बार करेंगे।

लगभग 50,200 वर्ग मीटर में विश्वनाथ धाम का निर्माण अब अंतिम पड़ाव पर है। इसके विकास, विस्तार और सौंदर्यीकरण के काम से बाबा के प्रांगण की भव्यता बढ़ती जा रही है। श्री काशी विद्वत परिषद के महामंत्री रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाने बाद श्रद्धालु गंगा जल लेकर सीधे बाबा के दरबार पहुंचेंगे और ज्योतिर्लिंग पर जल चढ़ाएंगे व 27 देवालयों की मणिमाला में शीश नवाएंगे। ये मंदिर बेहद ख़ास हैं। उन्होंने बताया कि धार्मिक दृष्टि से इनकी बहुत अधिक मान्यता है। वाराणसी के मंडलायुक्त व मंदिर कार्यपालक समिति के अध्यक्ष दीपक अग्रवाल ने बताया कि कई ऐसे मंदिर हैं, जो अधिग्रहित घरों से निकले हैं। ऐसे मंदिरों की संख्या क़रीब 25 है। ऐतिहसिक व धार्मिक दृस्टि से ये मंदिर भी बेहद महात्म्य वाले हैं। उन्होंने बताया कि अद्भुत नक्काशी वाले ये मंदिर सैकड़ों वर्ष पुराने हैं, जिसके दर्शन बहुत से श्रद्धालु पहली बार करेंगे।

अहिल्याबाई होलकर द्वारा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के लगभग 352 वर्ष के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुनरुद्धार कराया है, जो हिंदुस्तान की नई पहचान बनने जा रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम का प्रधानमंत्री ने आठ मार्च 2019 को शिलान्यास किया था, जिसकी आभा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में निखर के दिखने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसम्बर को वाराणसी की संभावित यात्रा में श्री काशी विश्वनाथ धाम श्रद्धालुओं को समर्पित करेंगे।

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