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क्रांतिकारी प्रौद्योगिकी से अधिवक्ताओं के सामने चुनौती बरकरार : कोविंद

बेलागवी (कर्नाटक), 15 सितम्बर (आईएएनएस)| नवाचार और इसके क्रियान्वयन के बीच समय के कम होने के बीच राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने शनिवार को अधिवक्ताओं से फुर्ती से इसे अपनाने का आवाह्न किया क्योंकि आधुनिक प्रौद्योगिकी ने वकीलों के सामने चुनौतियां खड़ी कर दी हैं।

बेंगलुरू से लगभग 500 किलोमीटर दूर कर्नाटक के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में कोविंद ने शनिवार को कहा, नवाचार और उसके क्रियान्वयन के बीच के समय के कम होने से अनुवांशिक अभियांत्रिकी, जैव नैतिकता और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में कानून के समक्ष चुनौतियां उत्पन्न हो गई हैं। अब अधिवक्ताओं को जल्दी से प्रतिक्रिया देनी होगी। मुझे उम्मीद है कि हमारे वकील इस पर विचार करेंगे।

कर्नाटक लॉ सोसायटी (केएलएस) और राजा लखमगौडा विधि कॉलेज की प्लेटिनम जयंती का उद्घाटन करते हुए कोविंद ने कहा कि प्रौद्योगिकी और उद्यमिता के युग में चौथी औद्योगिकी क्रांति (4.0) ने लोगों के रहने और काम करने का तरीका तथा युवा पीढ़ी की आकांक्षाओं को बदल दिया है।

उन्होंने कहा, हमारे शिक्षण संस्थानों को नवाचार और उत्कृष्टता की खोज के अनुकूल बनाना होगा। उन्हें 21वीं सदी के अनुकूल बनाना होगा।

राष्ट्रपति ने मानव विधि लेखों को अनुशासन और समाजीकरण का आधार बताते हुए कहा कि अधिवक्ता और न्यायाधीश को भी सच्चाई जानने की जरूरत होती है।

कोविंद ने अपील की, इसीलिए कई वकील राष्ट्रीय आंदोलन का हिस्सा बने। समाज सेवा के साथ महात्मा गांधी और बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर दोनों ही वकील थे। संविधान हमारी राष्ट्रीय पहचान की आधुनिक हस्तलिपि है।

इस समय भारत के नाटकीय परिवर्तन से गुजरने का संकेत देते हुए कोविंद ने कहा कि इस समय लिए जा रहे निर्णयों से ना सिर्फ निकट भविष्य बल्कि पूरी शताब्दी पर असर रहेगा।

कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल वाजुभाई वाला और मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और इस कॉजेल के पूर्व छात्र महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल भी शामिल रहे।

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