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अब दिल्ली में मायावती का साथ देगा ये बड़ा दल, मचेगा सियासी घमासान

नई दिल्ली. आगामी होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में राजनीति की सरगर्मियां तेज होती जा रही हैं। राजनीतिक दल अपने संगठन की मजबूती को लेकर लगातार जुटे हुए हैं। तो वहीँ केंद्र में मोदी सरकार ने भी चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं, विपक्षी दल एकजुट होकर केंद्र की मोदी सरकार से सामना करने की तैयारी हैं। कांग्रेस समेत अन्य प्रमुख दल भाजपा को मात देने के लिए गठबंधन का प्लान बना रहे हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के घर हुई बैठक में भी गठबंधन को लेकर चर्चा हुई है।

बता दे आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेसी ओर से बनाई गई मुख्य समिति की पहली बैठक राहुल गांधी के घर हुई। बैठक में लोकसभा चुनाव की कार्ययोजना पर रणनीति बनाई गई है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस दिल्ली में बहुजन समाज पार्टी (BSP) से गठबंधन करने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं के बीच बातचीत भी जारी है। माना जा रहा है कि कांग्रेस लोकसभा और विधानसभा दोनों चुनावों के लिए बसपा से गठबंधन करेगी। हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्षों और प्रभारियों की रिपोर्ट के आधार पर ही गठबंधन को लेकर फैसला लिया जाएगा।

खबरों के अनुसार कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं के बीच गठबंधन को लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन गठबंधन को लेकर दोनों ओर से काई सहमति नहीं बन पाई थी। इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन को लेकर हाथ आगे बढ़ाने का मन बनाया है। हालांकि बहुजन समाज पार्टी की ओर से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। माना जा रहा है कि कांग्रेस दिल्ली में आम आदमी के साथ गठबंधन को हार का सौदा बता रही है। कांग्रेस को डर सता रहा है कि कहीं यूपी जैसी हालत न हो जाए।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी कहा कि दिल्ली में हम किसी के जूनियर पार्टनर बनकर चुनाव नहीं लड़ेंगे। यह नहीं हो सकता कि कांग्रेस दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़े और बाकी की पांच सीटों पर गठबंधन करने वाली पार्टी लड़े। इसी तरह कांग्रेस विधानसभा में 20 सीटों पर लड़े और दूसरा दल 50 सीटों पर लड़े, ऐसे किसी गठबंधन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। ऐसे में कांग्रेस और बसपा में गठबंधन संभव हो सकता है। हालांकि बताया जा रहा है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बसपा नेताओं से बातचीत चल रही है।

माना जा रह है कि बसपा—कांग्रेस का गठबंधन इसलिए कारगर साबित हो सकता है क्योंकि एक तो बसपा सुप्रीमो मायावती खुद भी लंबे समय तक दिल्ली में रहती रही हैं और उनकी पार्टी कांग्रेस व भाजपा के बाद तीसरी ताकतवर पार्टी थी। बसपा ने दो विधानसभाओं में जीत भी दर्ज की और नगर निगम में भी डेढ़ दर्जन सीटों पर कब्जा जमाया। राजधानी की एक दर्जन सीटें आरक्षित श्रेणी में हैं जबकि लोकसभा की एक सीट को सुरक्षित घोषित किया गया है।

 

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