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पैदा होंगी सिर्फ बछिया … सेक्स साॅर्टेड सीमन उत्पादन का केंद्र बनेगा उत्तराखंड

नेशनल मिशन आॅन बोवाईन प्रोडक्टिविटी की मदद से पैदा होंगे मादा पशु

उत्तराखंड के पशुपालकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। जल्द ही उत्तराखंड में सेक्स साॅर्टेड सीमन उत्पादन ( यानी कि बछिया पैदा करने वाले वीर्य की तकनीक) का क्षेत्र बढ़ने वाला है।
प्रदेश में शनिवार 11 अगस्त को सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सेक्स साॅर्टेड सीमन उत्पादन के लिए यूएलडीबी व इन्गुरान सेक्सिंग टेक्नोलाॅजी, एलएलसी के बीच एमओयू का हस्तांतरण करेंगे।
इस मौके पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल, पशुपालन मंत्री रेखा आर्य व सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विधायक धर्मपुर विनोद चमोली भी मौजूद रहेंगे। कार्यक्रम का आयोजन पशुपालन विभाग के मोथरोवाला रोड़ स्थित पशुधन भवन में किया जाएगा।
भारत सरकार के नेशनल मिशन आॅन बोवाईन प्रोडक्टिविटी के अंतर्गत परियोजना लाई गई है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य नर पशुओं की संख्या नियंत्रित कर मादा पशुओं की संख्या में वृद्धि करना है, ताकि दुग्ध उत्पादन बढ़ाया जा सके और देशी उच्च नस्ल के पशुओं का संरक्षण व संवर्धन किया जा सके।
इस परियोजना में भारत सरकार ने देश के दस अग्रणी हिमीकृत वीर्य उत्पादन संस्थानों का चयन किया गया, जिसमें अतिहिमीकृत वीर्य उत्पादन केंद्र, श्यामपुर ऋषिकेश भी शामिल था। इस परियोजना में प्रस्ताव तैयार कर केंद्र सरकार को भेजने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को उपयुक्त बताते हुए अपनी स्वीकृति दी। वर्तमान में उतराखंड ही एकमात्र राज्य है,जिसको इस परियोजना की स्वीकृति मिली है।
इस परियोजना के अंतर्गत उत्तराखंड लाईवस्टाक डेवलपमेंट बोर्ड के संयुक्त राज्य अमेरिका की कंपनी इन्गुरान एलएलसी सेक्सिंग टेक्नोलाॅजी से अनुबंध किया जा रहा है। यह कंपनी विश्व की एकमात्र ऐसी कंपनी है, जिसको सेक्स सोर्टिंग आॅफ सीमन के काम में तकनीकी दक्षता हासिल है।

क्या है नेशनल मिशन आॅन बोवाईन प्रोडक्टिविटी

परियोजना का मुख्य उद्देश्य देशी पशुओं के लिंग वर्गीकृत वीर्य का उत्पादन कर उसको गाय व भैंसों में कृत्रिम गर्भाधान का उपयोग कर अधिक से अधिक मादा पशुओं को पैदा करना है, जिससे नर पशुओं की संख्या नियंत्रित किया जा सके व दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो सके।
परियोजना की कुल लागत 47 करोड़ 50 लाख रूपए है,जो पांच वर्षों के लिए संचालित की जानी है। इस परियोजना में 90 प्रतिशत केंद्रांश है, जबकि 10 प्रतिशत राज्यांश है। इस परियोजना के पहले वर्ष में दो लाख जबकि दूसरे, तीसरे, चौथे व पांचवें वर्ष में तीन-तीन लाख सेक्स सीमन डोज का उत्पादन किया जाएगा।
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