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एक वर्ष के अंतर पूरा हो जाएगा सौंग बांध परियोजना का काम

उत्तराखंड के कई पर्वती क्षेत्रों में खत्म होगी पेयजल की कमी की समस्या

उत्तराखंड में जल्द ही पीने के पानी की समस्या खत्म होने वाली है। पेयजल विभाग के साथ सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की बैठक के दाैरान यह तय हुआ है कि सौंग बांध परियोजना का काम 350 दिनों ( एक वर्ष के भीतर) पूरा कर लिया जाएगा। सौंग बांध परियोजना की मदद से राजधानी देहरादून सहित कई क्षेत्रों में पेयजल संकट खत्म होगा।

उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से साथ समीक्षा बैठक के दौरान सौंग बांध के निर्माण की जानकारी देते हुए अधिकारियों ने बताया कि सौंग बांध निर्माण को 350 कार्यरत दिनों (वर्किंग डेज) में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। बांध से संबंधित जियो सर्वे पूरा हो गया है। 148 मीटर ऊंचा यह बांध, जिसका सबमर्ज एरिया 76 हेक्टेयेर होगा और इससे 4 किमी. झील का निर्माण होगा। सौंग बांध रगड़गांव से हल्दवाड़ी तक ग्रेविटी बेस्ड पानी की आपूर्ति करेगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में घराट हब विकसित करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि 20 से 25 घराट विकसित किए जा सकते हैं, जो पर्यटन के नए आकर्षण के साथ ही पारम्परिकता के संरक्षण का कार्य भी करेंगे। बैठक में पेयजल विभाग के अधिकारियों द्वारा जानकारी दी गई कि विभाग से सम्बन्धित की 70 प्रतिशत घोषणाएं इस वर्ष पूरी हो जाएंगी।

राज्य में नए पर्यटक स्थल विकसित करने के लिए ‘13 डिस्ट्रिक्ट 13 न्यू डेस्टिनेशन’ योजना के तहत सभी जिलाधिकारियों को 50-50 लाख रूपए की अग्रिम धनराशि जारी कर दी गई है। सीएम ने जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वर्तमान होम स्टे का आॅनलाइन पंजीकरण शीघ्र से शीघ्र सुनिश्चित किया जाए और प्रत्येक जिले को दिए गए नए होम स्टे चयन की प्रक्रिया को पूरा किया जाए। ताकि सरकार द्वारा इनका विज्ञापन व प्रचार-प्रसार का कार्य शुरू किया जा सके।

बैठक में मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियो से कहा कि जल संरक्षण के लिए छोटे चैक डैम, जलाशय, पुराने जल स्रोतों को रिचार्ज करने के लिए जिलास्तर पर विस्तृत सर्वे करवाए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा, ” हम रिस्पना व कोसी के पुनर्जीवीकरण के साथ ही इन्हें पर्यटकों के लिए नए आकर्षण के केन्द्र के रूप में भी विकसित करना चाहते हैं। इसके साथ साथ जनपद स्तर पर राहत व बचाव कार्यों की निरन्तर समीक्षा की जाए और वर्षा के मौसम को ध्यान में रखते हुए मशीनरी को एक्टिवेट करें।”

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