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जंगलों में आग लगने पर वन विभाग के साथ-साथ संबंधित डीएम पर भी गिरेगी गाज, होगी जवाबदेही

बिगड़ते हालात को देखते हुए सरकार ने वन विभाग के सभी अधिकारियों की छुट्टियां की रद्द

उत्तराखंड के जंगलों में वनाग्नि की घटनाओं की स्थिति व उनकी रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सभी जिलाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक ली है।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री ने ली जिलाधिकारियों की बैठक

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री रावत ने जंगलों में वनाग्नि से फौरन निपटने के लिए अफसरों को डीएम आपदा तंत्र और स्वीकृत फंड का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए हैं।उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने से पिछले कुछ दिनों में जंगलों में जीव और वन संपदा को काफी नुकसान पहुंचा है।  आग ने पहाड़ी के साथ-साथ मैदानी क्षेत्र को भी अपने आगोश में ले लिया है, जिससे चारधाम यात्रा पर भी खतरा बढ़ गया है। बिगड़ते हालात को देखते हुए सरकार ने वन विभाग के सभी अधिकारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं।

उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र पिछले कुछ दिनों से लगी आग से 50 से अधिक गंभीर मामले मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इसके साथ ही 60 फायर अलर्ट भी जारी किए गए हैं। विभाग के मुताबिक शनिवार और रविवार के बीच आग में 69.71 हेक्टेयर जंगल का एरिया जलकर राख हो गया है। अभी तक हुए नुकसान के सारे आंकड़े नहीं जुट पाए हैं।

जंगलों को आग से बचाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ट्विट के माध्यम से यह बताया, ” इन घटनाओं से निपटने में वन विभाग के अफसरों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। डीएम भी इसके लिए जवाबदेह होंगे। आग बुझाने में पुलिस विभाग और स्थानीय लोगों की भी मदद ली जाए।”

वन विभाग के अनुसार आग लगने की घटनाएं उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, टिहरी, हरिद्वार, नैनीताल, उत्तरकाशी और पौड़ी के जंगलों में देखने को मिली है।

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