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उमेश अपहरण मामले में अतीक अहमद समेत तीनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा

प्रयागराज। उमेश पाल अपहरण मामले में आज प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट अपना फैसला सुना दिया है। फैसले के मुताबिक माफिया अतीक अतीक अहमद को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

इससे पहले आज उमेश अपहरण केस में अतीक अहमद समेत तीन आरोपियों को एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी करार दिया था जबकि अतीक के भाई अशरफ सहित साथ आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। विधायक राजू पाल हत्याकांड के चश्मदीद गवाह रहे उमेश पाल के अपहरण के मामले में 17 साल बाद अदालत ने फैसला सुना दिया है।

जिला न्यायालय की स्पेशल कोर्ट एमपी-एमएलए कोर्ट ने 17 मार्च को सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने के लिए 28 मार्च की तारीख तय की थी। मामले में अतीक, अशरफ सहित कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था। आज माफिया अतीक अहमद और अशरफ कोर्ट में पेश होंगे। मामले में अतीक, अशरफ सहित कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

फांसी की सज़ा दिलाई जाए- उमेश की पत्नी

उमेश पाल की पत्नी जया पाल ने कहा कि मैं कोर्ट से यही उम्मीद करती हूं कि उसको (अतीक अहमद) फांसी की सज़ा दिलाई जाए। जब तक जड़ खत्म नहीं होगी तब तक कुछ नहीं हो पाएगा। हम डर के साए में जी रहे हैं। प्रयागराज में उमेश पाल के आवास के बाहर सुरक्षा तैनात की गई है।

फांसी की सजा हो- उमेश की मां

फैसले से पहले उमेश पाल की मां शांती देवी ने कहा कि मेरे बेटे ने बहुत संघर्ष किया है। जेल उसका (अतीक अहमद) घर है और वहां से वो कुछ भी करा सकता है। प्रशासन ने अभी तक जो भी कुछ किया है उससे हम संतुष्ट हैं। मेरी यही मांग है कि उसको फांसी की सजा हो।

28 फरवरी को सुनाया जाना था फैसला

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुशील वैश्य के मुताबिक इस उमेश पाल अपहरण मामले में कोर्ट ने 17 फरवरी को सुनवाई पूरी कर ली थी और 28 फरवरी को फैसला सुनाने की तिथि निर्धारित की थी, लेकिन 24 फरवरी को को ही उमेश की हत्या कर दी गई थी। जिला शासकीय अधिवक्ता अपराध गुलाब चंद्र अग्रहरि ने बताया कि मामला संवेदनशील होने की वजह से पुलिस कमिश्नर से कचहरी परिसर में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए पत्र लिखा गया है।

कोर्ट ने तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए ट्रायल कोर्ट को दो महीने में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। उसके बाद से ही उमेश पाल अपहरण कांड में रोजाना सुनवाई होने लगी। 24 फरवरी को जिस दिन उमेश पाल की हत्या हुई, इसी केस के सिलसिले में वह कोर्ट से ही लौटे थे। उस दिन बचाव पक्ष की ओर से बहस हो रही थी।

इसके बाद अभियोजन की ओर से कुल आठ गवाह पेश किए गए। जिसमें खुद उमेश पाल और उसके एक रिश्तेदार के अलावा दो जांच अधिकारियों के साथ छह पुलिस कर्मी शामिल थे। पक्षकारों की तरफ से (अतीक अहमद, अशरफ सहित अन्य आरोपियों) अपने बचाव के लिए कुल 54 गवाह पेश किए गए।

कोर्ट ने 2009 में आरोप तय किए

धूमनगंज पुलिस ने उमेश पाल की तहरीर पर आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 364A, 323, 341, 342, 504, 506, 34, 120बी और सेवन सीएल अमेंडमेंट एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की। जांच के दौरान जावेद उर्फ बज्जू, फरहान, आबिद, इसरार, आसिफ उर्फ मल्ली, एजाज अख्तर का नाम सामने आया। पुलिस की रिपोर्ट दाखिल होने के बाद कोर्ट ने 2009 में आरोप तय कर दिए। आरोपी अंसार बाबा की पहले ही मौत हो चुकी है।

पांच जुलाई 2007 को लिखाई गई थी FIR

मामले में उमेश पाल ने पांच जुलाई 2007 को धूमनगंज थाने में उस समय सांसद रहे अतीक अहमद, उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, दिनेश पासी, खान सौकत हनीफ, अंसार बाबा के खिलाफ अपहरण कर विधायक राजू पाल हत्याकांड मामले में अपने पक्ष में बयान करने का आरोप लगाया था।

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