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Agnipath Protest: चार साल में क्यों रिटायर कर रही है मोदी सरकार ?

भारतीय सेना में भर्ती को लेकर अब तक का सबसे बड़ा बदलाव हुआ है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को ‘अग्निपथ’ नाम की योजना शुरू करने की घोषणा की। इसमें चार साल के लिए सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती होगी। योजना के तहत चुने गए युवाओं को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा और इस साल करीब 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल करने की योजना है। हालांकि केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद से देश के अलग-अलग राज्यों में इसके खिलाफ असंतोष नजर आया है।

केन्द्र सरकार की तरफ से सेना में भर्ती को लेकर लाई गई ‘अग्निपथ स्कीम’ को लेकर जमकर विरोध किया जा रहा है। बिहार में इसके विरोध में जगह-जगह टायर आगजनी, पथराव और एनएच को जाम लगाकर प्रदर्शन किया जा रहा है।

बक्सर, आरा, मुजफ्फरपुर, जहानाबाद, नवादा, छपरा, सिवान और बेगूसराय समेत कई जिलों में भारी बवाल हुआ है। अग्‍न‍िवीरों के लिए अग्‍न‍िपथ योजना की घोषणा करने के अगले ही दिन यानी बुधवार को जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे। गुरुवार को दूसरे दिन भी हंगामा हुआ। अभ्यर्थियों का कहना है कि तीन से चार साल तक वे परीक्षा की तैयारी करते हैं और फिर चार साल के लिए नौकरी होगी तो इसका कोई मतलब नहीं रह जाता है। प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने सरकार से इस योजना को तुरंत वापस लेने की अपील की है।

इस फैसले को लेकर काफी चर्चा है और कई सवाल भी हैं।

आखिर क्या है अग्निपथ योजना?

केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल किया जाना है। योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। अग्निवीरों की उम्र 17 से 21 वर्ष के बीच होगी और 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा। योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी।

विरोध का कारण यह है कि दो साल पहले 2020 से आर्मी में भर्ती की कई परीक्षाएं हुईं। उन परीक्षाओं में किसी छात्र का मेडिकल तो किसी का रिटेन बाकी है। ऐसे में नई स्कीम आने से सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द हो गई। पहले जो नौकरी स्थायी हुआ करती थी, वो अब सिर्फ चार साल की होगी। लिहाजा सरकारी नौकरी का सपना संजोए युवाओं को बड़ा झटका लगा है।

सेना भर्ती अभ्यर्थियों का कहना है कि साल 2021 में सेना में बहाली हुई थी। तब बिहार में मुजफ्फरपुर समेत आठ जिलों में बड़ी संख्या में युवा इसमें शामिल हुए थे। फिजिकल एग्जाम पास करने के बाद उनका मेडिकल हुआ। फिर जिन अभ्यर्थियों का मेडिकल निकल गया, वे एक साल से लिखित परीक्षा का इंतजार कर रहे हैं लेकिन अब तक यह परीक्षा नहीं हुई। ऐसे में सरकार अब नया नियम बना रही है।

चार साल बाद क्या होगा

युवाओं का कहना है कि नए नियम के अनुसार चार साल पूरे होने के बाद 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थायी काडर में शामिल कर लिया जाएगा लेकिन बाकी के 75 फीसदी अग्निवीरों का क्या होगा? सरकार की तरफ से उन्हें 12 लाख रुपए सेवा निधी तो जरुर मिलेगी लेकिन क्या ये जीवन गुजारने के लिए काफी होगा? क्या उनके पास दूसरी नौकरी का भी विकल्प होगा? बता दें कि सेना में जितनी भी भर्तियां होंगी, वो अग्निपथ स्कीम के तहत ही की जाएंगी। पुराने मेडिकल या फिजकल टेस्ट को नहीं माना जाएगा। युवाओं को भर्ती के लिए अग्निपथ स्कीम के तहत ही आवेदन करना होगा।

प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है, ‘सिर्फ़ चार साल नौकरी करने के बाद हम कहां जाएंगे. चार साल की सर्विस के बाद तो हम बेघर हो जाएंगे. यही वजह है कि हमने सड़क जाम कर दी है. देश के नेताओं को अब पता चलेगा कि लोग जाग गए हैं.’ प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इस योजना को तुरंत वापस लिया जाए.

बता दें कि चार साल की सेवा के बाद 75 पर्सेंट युवाओं को रिटायर करने का कॉन्सेप्ट किसी के गले नहीं उतर रहा है. सरकार का तर्क है कि अर्धसैनिक बलों के अलावा राज्यों की नौकरियों में भी ‘अग्निवीरों’ को प्राथमिकता दी जाएगी. केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ-साथ कई राज्यों ने इसके बारे में ऐलान भी कर दिया है लेकिन अभ्यर्थियों का कहना है कि ये ऐसा होगा कि चार साल की नौकरी के बाद हम फिर से नौकरी की लाइन में लगे होंगे.

अग्निपथ योजना के खिलाफ सड़क पर उतरे प्रदर्शनकारियों की मांग बेहद स्पष्ट है. उनका कहना है कि इस योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाना चाहिए. लंबे समय से सेनाओं में भर्ती ने होने की वजह से परेशान छात्रों की मांग है कि जल्द से जल्द भर्ती की रैलियां आयोजित कराई जाएं और परीक्षाएं शुरू हों. इसके अलावा, पुरानी लटकी भर्तियों को भी जल्द से जल्द क्लियर करने की मांग की जा रही है. केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना के विरोध की चिंगारी बिहार से चलकर अब ये यूपी, हरियाणा और हिमाचल समेत कई राज्यों तक पहुंच चुकी है।

 

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