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नहीं रहे मशहूर संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा, संतूर सीख किया पिता का सपना पूरा, जानें पंडित शिव कुमार शर्मा के जीवन से जुड़ी 5 बड़ी बातें

मशहूर संगीतकार और संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा का आज (10 मई को) 84 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने संतूर वादक को दुनिया में एक अलग पहचान दिलाई थी. पंडित शिव कुमार शर्मा ने बॉलीवुड की कई फिल्मों के हिट गानों में संगीत दिया. उनका जन्म 13 जनवरी, 1938 को जम्मू में हुआ था. उनके जीवन से जुड़ी बड़ी बातें बताते हैं.

5 साल की उम्र में शुरू की संगीत की शिक्षा

पंडित शिव कुमार शर्मा ने पांच साल की उम्र में ही तबला और संगीत की शिक्षा शुरू कर दी. साल 1999 में एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने इस बात को बताया. उनके पिता ने संतूर वाद्य पर काफी रिसर्च की और ये संकल्प किया कि शिव कुमार पहले भारतीय बनें जो भारतीय शास्त्रीय संगीत को संतूर पर बजाएं. शिव कुमार शर्मा ने 13 साल की उम्र में ही संतूर बजाना शुरू किया और अपने पिता का सपना पूरा किया.

कई फिल्मों में दिए हैं मशहूर गानें

पं. शिव कुमार शर्मा ने कई संगीतकारों जैसे जाकिर हुसैन और हरिप्रसाद चौरसिया के साथ मिलकर काम किया है. उन्होंने कई हिंदी फिल्मों जैसे दार, सिलसिला, लम्हे, आदि के लिए गाने भी बनाए. उनके कुछ प्रसिद्ध एल्बमों में कॉल ऑफ द वैली, संप्रदाय, एलीमेंट्स: जल, संगीत की पर्वत, मेघ मल्हार, आदि हैं.

संगीत के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए पंडित शिव कुमार शर्मा को पद्मश्री, पद्म विभूषण, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, जम्मू विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टरेट, उस्ताद हाफिज अली खान पुरस्कार, महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.

संगीत के छात्रों को फ्री में देते थे शिक्षा

साल 2002 में उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘जर्नी विद हंड्रेड स्ट्रिंग्स: माई लाइफ इन म्यूजिक’ (Journey with a Hundred Strings: My Life in Music) प्रकाशित की. वो गुरुओं की परंपरा में संतूर संगीत को अपने छात्रों को बिना किसी फीस के सिखाते थे. उनसे शिक्षा लेने के लिए जापान, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका जैसे दुनिया के कई हिस्सों के छात्र आते थे.

कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया

शिव कुमार शर्मा को देश में तो कई पुरस्कार मिले ही हैं, साथ ही कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया. उन्हें साल 1985 में अमरीका के बोल्टिमोर शहर की सम्माननीय नागरिकता प्रदान की गई. शिव कुमार शर्मा ने अपने बेटे राहुल शर्मा को अपना शिष्य बनाया और संतूर-वादन में पारंगत किया.

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