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योगी कैबिनेट से क्यों बाहर हुए दिनेश शर्मा, बृजेश पाठक को क्यों मिली डिप्टी सीएम की कमान?

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथ में एक बार फिर उत्तर प्रदेश की कमान आ गयी है। लगातार दुसरी बार मुख्यमंत्री की गद्दी पर विराजमान हो कर योगी आदित्यनाथ ने इतिहास रच दिया है। बीते दिन यानि 25 मार्च को योगी ने लखनऊ के इकाना स्टेडियम मे हज़ारों की भीड़ के बीच सीएम पद की शपथ ली। बुलडोज़र बाबा का बुलडोज़र यूपी में ऐसा चला की अपराधियों के साथ भ्रस्टाचार भी साफ़ हो गया। साथ ही पिछले कैबिनेट के कई मंत्रिओं के सियासी ओहदे पर भी बाबा का बुलडोज़र सा चल गया। इन्ही मंत्रियों मे सबसे चौकाने वाला नाम दिनेश शर्मा का है।

सीएम योगी के साथ कुल 52 (बावन) मंत्रिओं ने शपथ ग्रहण की। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के पहले कार्यकाल में उप मुख्यमंत्री रहे बीजेपी का ब्राह्मण चेहरा दिनेश शर्मा की नई कैबिनेट से छुट्टी हो गई है जबकि केशव प्रसाद मौर्य की कुर्सी को बरकरार रखा गया है। योगी सरकार 2.0 के मंत्रिमंडल में दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दिनेश शर्मा की जगह ब्रजेश पाठक को क्यों अहमियत दी गई है? चलिए आपको बताते हैं ब्रजेश पाठक के डिप्टी सीएम बनने के पीछे के कारण।

साल 2017 में बीजेपी 15 साल बाद यूपी की सत्ता में वापस आई। इस साल सीएम का ताज योगी जी के सर सजा। लेकिन बीजेपी ने सत्ता का संतुलन बनाने और जातीय समीकरण साधे रखने के लिए ब्राह्मण चेहरे के तौर पर लखनऊ के मेयर रहे डॉ दिनेश शर्मा और ओबीसी समुदाय से आने वाले केशव प्रसाद मौर्य को डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी थी।

वहीं, साल 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ब्रजेश पाठक ने बसपा छोड़कर बीजेपी का दमान थामा था। तभी उन्हें लखनऊ मध्य सीट से विधायक बनाया गया था। इसके बाद योगी सरकार के पहले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री बनाकर उन्हें विधायी, न्याय एवं ग्रामीण अभियंत्रण सेवा विभाग का कार्यभार सौंपा गया था। अब बीजेपी दोबारा से राज्य की सत्ता में लौटी है तो ब्रजेश पाठक का कद बढ़ गया है। उन्हें योगी कैबिनेट 2.0 में उपमुख्यमंत्री के पद से नवाजा गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है, योगी सरकार के पहले कार्यकाल में जिस तरह से विपक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि ब्राह्मण विरोधी नेरेटिव गढ़ने की कवायद की। ऐसे में विपक्ष के नेरेटिव को डिप्टीसीएम रहते हुए दिनेश शर्मा बहुत जोरदार तरीके से तोड़ नहीं सके और न ही ब्राह्मण नेता के तौर पर अपना कुछ ख़ास प्रभाव जमा सके। ऐसे में बीजेपी को सूबे में ब्राह्मण समाज के दमदार छवि वाले नेता की तलाश थी।

बीजेपी शीर्ष नेतृत्व को ब्रजेश पाठक में ब्राह्मण नेता वाली छवि दिखी जिसके बाद यह फैसला लिया गया। ब्रजेश पाठक शुरू से खुद को ब्राह्मण नेता के तौर पर स्थापित करने में जुटे हुए थे। कांग्रेस से लेकर बसपा और बीजेपी में रहते हुए ब्रजेश पाठक ब्राह्मणों के मुद्दों पर मुखर रहे हैं।

2017 में योगी सरकार बनने के बाद रायबरेली में ऊंचाहार विधानसभा क्षेत्र के अपटा गांव में पांच ब्राह्मणों को जलाकर मार दिया गया था। इस मुद्दे पर जहाँ एक ओर दिनेश शर्मा इतने सक्रिय नहीं दिखे, वहीँ ब्रजेश पाठक ने भरपूर सक्रियता दिखाई। उन्होंने इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया था, जिसके बाद आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई थी।

वहीं, बिकरू कांड के आरोपी माफिया विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद तमाम विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ब्राह्मण विरोधी कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की थी तो ब्रजेश पाठक खुलकर योगी सरकार के समर्थन में सामने आए थे। लखीमपुर के तिकुनिया में हिंसा में मारे गए भाजपा कार्यकर्ताओं के दसवां संस्कार में ब्रजेश पाठक ने शिरकत कर उनके परिजनों को सांत्वना दी थी।

कैबिनेट मे योगी सरकार के पहले कार्यकाल में डिप्‍टी सीएम रहे दिनेश शर्मा की छुट्टी हो गई। योगी और बीजेपी आलाकमान ने दिनेश शर्मा का पत्ता काट दिया। इस बड़े फेरबदल के बाद सवाल उठने लगे हैं कि आखिर दिनेश शर्मा से ऐसी क्‍या गलती हुई कि उनकी कुर्सी चली गई? सब कुछ परफॉर्मेंस और राजनीतिक गुणा गणित से जुड़ा है। इसके लिए भी पिछले चुनावों को याद करना होगा। लखनऊ के मेयर रहे दिनेश शर्मा को ब्राह्मण चेहरे के तौर पर 2017 में योगी सरकार में जगह मिली थी। दिनेश शर्मा डिप्‍टी सीएम के तौर पर अपनी वैसी आक्रामक छवि नहीं बना पाए जिसकी उनसे अपेक्षा थी। चुनावी कैंपेन के दौरान योगी सरकार पर ब्राह्मण विरोधी होने के आरोप लगे। विपक्ष ने उन पर तीखा हमला किया। यह अलग बात है कि दिनेश शर्मा इसका जवाब देने में नाकाम साबित हुए। बीजेपी को दिनेश शर्मा के बजाय ब्रजेश पाठक में वो खूबियां दिखाई दीं। वह ब्राह्मणों के मुद्दों पर ज्‍यादा आक्रामक रहे हैं। पिछले पांच साल में ऐसे कई मौके आए जब दिनेश शर्मा सुस्‍त दिखाई दिए।

ऐसे ही तमाम कार्यों और बिंदुओं के मद्देनज़र ब्रजेश पाठक पार्टी का एक एहम ब्राह्मण चेहरा बन कर उभरे। वहीँ दिनेश शर्मा का पत्ता न सिर्फ उप मुख्यमंत्री पद से, बल्कि कैबिनेट से भी कट गया। इसी के चलते ब्रजेश पाठक को इतनी लम्बी छलांग लगा कर सीधे डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंप दी गयी।

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