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अखिलेश के लिए आत्ममंथन का समय कि जनता ने सपा को क्यों नकारा: सिद्धार्थ नाथ सिंह

लखनऊ। जैसी उम्मीद थी, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ईवीएम पर सवाल उठाने लगी। यह बात चुनाव प्रचार के दौरान ही समझ में आ गई थी कि जनता का समर्थन भाजपा के साथ है और समाजवादी पार्टी हार का ठीकरा हमेशा की तरह ईवीएम पर ही फोड़ेगी।

उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री एवं सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह में मंगलवार को जारी एक बयान में यह बात कही। उन्होंने कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में यह मजाक प्रचलित था कि 10 मार्च आते आते सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हार का कोई बहाना ढूँढ ही लेंगे। इसीलिए वह ईवीएम की सुरक्षा का मुद्दा उठा रहे हैं। सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव ‘खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे’ की कहावत चरितार्थ कर रहे हैं। अगर अखिलेश यादव ने अपने सरकार के कार्यकाल में काम किया होता और जनता का विश्वास जीता होता तो उन्हें चुनाव परिणाम के दो दिन पहले ऐसे अनर्गल बयान ना देने पड़ते।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में इतने निष्पक्ष शांतिपूर्ण चुनाव होने के बावजूद अखिलेश फालतू आरोप लगा कर बेवजह जनता को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि चुनाव आयोग पर सीधी टिप्पणी करना उन जैसे वरिष्ठ नेता पर शोभा नहीं देता है। हाँ, यह बात समझी जा सकती है कि सपा की हार सामने देखकर उनके पास ईवीएम का रोना रोने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा है।

उन्होंने कहा कि अखिलेश के पास अब सिर्फ आत्ममंथन का समय है कि जनता ने उन्हे क्यों नकारा। उन्हें समझना चाहिए कि कोरोना काल में जनता का साथ छोड़ने,गुंडों व माफिया को बढ़ावा देने और अपराधियों को चुनाव में टिकट देने का परिणाम यह है कि विधानसभा चुनाव में जनता ने सपा को पूरी तरह नकार दिया है।

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