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ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकेगा रेलवे का ‘कवच’, जानिए क्या है और कैसे करता है काम, खुद रेलमंत्री ने किया टेस्ट

 

भारतीय रेलवे ने एक नए सुरक्षा सिस्टम की टेस्टिंग की है, जिसका नाम ‘कवच’ है। ये एक ऐसा सिस्टम है, जिसके जरिए रेल हादसों से बचा जा सकता है। कवच सुरक्षा सिस्टम इस तरह से तैयार किया गया है कि अगर एक लोको इंजन के सामने दूसरा लोको आ जाए तो 380 मीटर की दूरी से कवच इंजन को तुरंत रोक देता है।

कवच एक तरह का कोलिजन डिवाइस नेटवर्क है, जो ट्रेन हादसे रोकने के लिए डिजाइन किया गया है। हादसे की आशंका होने पर यह सिस्टम खुद ब खुद ट्रेन में ब्रेक लगा देता है। ओवर स्पीड होने पर भी यह सिस्टम ब्रेक लगा देगा। सामने कोई फाटक होने की स्थिति में भी ये सिस्टम हॉर्न बजाएगा। शून्य दुर्घटना’ के लक्ष्य को हासिल करने में में रेलवे की मदद के लिए स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) प्रणाली का निर्माण किया गया है। कवच को इस तरह से बनाया गया है कि यह उस स्थिति में एक ट्रेन को ऑटोमैटिक रूप से रोक देगा, जब उसे निर्धारित दूरी के भीतर उसी लाइन पर दूसरी ट्रेन के होने की जानकारी मिलेगी।

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव इस सुरक्षा सिस्टम की टेस्टिंग के लिए खुद ट्रेन के इंजन में सवार हुए। टेस्टिंग के दौरान सामने से दूसरा इंजन सामने आया है और कवच ने इसे रोक दिया। रेलमंत्री ने इस टेस्टिंग के कई वीडियो ट्विटर के जरिए पोस्ट किए हैं।

सामने फाटक आने पर कवच ड्राइवर के बिना आप सीटी बजाना शुरू कर देता है। लूप-लाइन क्रॉसिंग को भी टेस्ट किया गया, जिसमें लूप-लाइन को पार करते समय कवच ऑटोमैटिक रूप से इंजन की स्पीट को घटाकर 30 किमी प्रति घंटे कर देता है। SPAD टेस्ट में देखा गया कि रेड सिग्नल सामने होने पर कवच इंजन को आगे बढ़ने नहीं दे रहा है। रियर-एंड टक्कर टेस्ट भी सफल रहा है। कवच ने सामने से दूसरे लोको के आने पर 380 मीटर पहले इंजन को रोक दिया।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव सनतनगर-शंकरपल्ली मार्ग पर सिस्टम के परीक्षण का हिस्सा बनने के लिए सिकंदराबाद पहुंचे। अधिकारियों के मुताबिक कवच एसआईएल -4 (सुरक्षा मानक स्तर चार) के अनुरूप है जो किसी सिक्योरिटी सिस्टम का उच्चतम स्तर है। साल 2022 के केंद्रीय बजट में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत 2,000 किलोमीटर तक के रेल नेटवर्क को ‘कवच’ के तहत लाने की योजना है। दक्षिण मध्य रेलवे की जारी परियोजनाओं में अब तक कवच को 1098 किलोमीटर मार्ग पर लगाया गया है। कवच को दिल्ली-मुंबई और दिल्ली हावड़ा रेल मार्ग पर भी लगाने की योजना है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 3000 किलोमीटर है।

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