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सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य को टक्कर देंगी पल्लवी पटेल, जानिए क्या कहता है जातीय समीकरण

 

उत्तर प्रदेश में पांचवें चरण में 12 जिलों की 61 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होना है। इस चरण में कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट राज्य की सबसे चर्चित सीटों में से एक है। इस सीट की चर्चा इसीलिए भी ज्यादा है, क्यों कि यहां से बीजेपी ने यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, दूसरी तरफ सपा-अपना दल गठबंधन की ओर से पल्लवी पटेल को टिकट दिया गया है। सिराथू सीट पर केशव प्रसाद मौर्य के सामने सपा गठबंधन प्रत्याशी की राह आसान नहीं होगी।

सिराथू विधानसभा सीट से सपा गठबंधन की प्रत्याशी पल्लवी पटेल बेरोजगारी के मुद्दे को उठा रही हैं। वह खुद को कौशांबी की बहू कहकर लोगों के दिल में जगह बनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं, इसके साथ ही वह महिलाओं के बीच भी पैठ बनाने की कोशिश में जुटी हैं। हालांकि केशव प्रसाद मौर्य की छवि ऐसे नेता की है, जो मिलनसार और सबको साथ लेकर चलने वाले हैं। कोरोना लॉकडाउन में बीजेपी की तरफ से गरीबों को बांटे गए मुफ्त राशन का भी क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। ऐसे में बीजेपी से गरीब वोटर्स को अपनी तरफ खींचना सपा गठबंधन के लिए आसान नहीं होगा।

क्षेत्र के लोग पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना, किसान सम्मान योजना से भी खासा प्रभावित हैं। वहीं युवा के लिए ई-श्रम योजना भी काफी प्रभाव डालने वाली है। ऐसे में पल्लवी के सामने केशव प्रसाद मौर्य को हराना बड़ी चुनौती होगी। एक तरफ डिप्टी सीएम तो दूसरी तरफ पल्लवी पटेल की कड़ी टक्कर इस सीट पर देखने को मिलेगी।

सिराथू विधानसभा सीट दलित बाहुल्य है। यहां करीब 1.20 लाख दलित वोटर हैं। इसके बाद करीब 55 हजार मुस्लिम वोटर हैं। करीब 35 हजार पटेल, 28 हजार मौर्य, 25 हजार ब्राह्मण, 25 हजार यादव, 12 हजार पाल, 7 हजार प्रजापती, 28 हजार वैश्य, 6 हजार ठाकुर वोटर हैं। दलितों में अधिक संख्या पासी वोटरों की है।

इसकी सबसे बड़ी वजह दलित वोटरों खासतौर पर पासियों में बीजेपी की मजबूत पकड़ है। सिराथू में ओवरब्रिज का नाम संत मलूकदास और बिजली पासी के नाम से रखा गया है। पहली बार पासी साम्राज्य के बड़े राजा रहे बिजली पासी के नाम से रखा गया है।

इसके अलावा बीजेपी की कोशिश पटेल, मौर्य, ब्राह्मण, पाल, प्रजापति, वैश्य और ठाकुर वोटरों का वह समीकरण बनाने की है, जो किसी भी राजनीतिक दल के लिए अभेद्य हो। हालांकि पल्लवी की भी कोशिश पटेल, यादव, मुस्लिम, पाल बिरादरी के वोटरों में सेंधमारी की है, लेकिन इसमें अभी भाजपा की पकड़ मजबूत है।

पल्लवी पटेल मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री और अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल की छोटी बहन हैं। यूपी की सियासत में पिछड़ों और खासकर कुर्मी समुदाय के बड़े नेता रहे सोनेलाल पटेल की दूसरी बेटी हैं। पल्लवी साल 2008 में राजनीतिक में सक्रिय हुई थीं। साल 2009 में उनके पिता सोनेलाल पटेल के निधन के बाद उनकी मां कृष्णा पटेल अपना दल की अध्यक्ष बनीं और बहन अनुप्रिया राष्ट्रीय महासचिव बनीं।

साल 2014 में कृष्णा पटेल ने पल्लवी पटेल को पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया, लेकिन अनुप्रिया को ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आई और उन्होंने इसका विरोध किया। विवाद बढ़ा और साल 2016 में पार्टी बंट गई। अनुप्रिया पटेल ने अपना दल (सोनेवाल) बनाया। वहीं, पल्लवी पटेल और उनकी मां कृष्णा पटेल ने अपना दल (कमेरावादी) का गठन किया।

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