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लखनऊ के अस्पताल का हुआ भंडाफोड़, मजदूरों को लालच में फंसाकर बनाया फर्जी मरीज!

 

राजधानी लखनऊ में एक बेहद चौकानें वाला मामला सामने आया है, जहां दिहाड़ी मजदूरों को पैसों का लालच दिया गया। उन्हें बताया गया कि आपको नाटक करके बेड पर लेटना है ताकि आप बीमार लगे। काम की तलाश में आए मजदूर पैसों की लालच में आ गए। उसके बाद उन्हें बंधक बना लिया गया और ईलाज शुरू कर दिया गया, जिसके चंगुल से भागकर एक पीड़ित थाने पहुंचा।

पूरा घटनाक्रम सुनकर हरकत में आई पुलिस मौके पर पहुंची। ये पूरा मामला एक प्रतिष्ठित हॉस्पिटल से जुड़ा है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच में जुटी है। मौके से एक डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है। मान्यता के लिए अस्पताल में नैशनल मेडिकल कमिशन की ओर से निरीक्षण होना था। इसी सिलसिले में यह ‘खेल’ किया गया।

चंद पैसों के लिए किसी बड़ी घटना शिकार होते हुए बचे पीड़ित मजदूरों में से एक पीड़ित ने बताया कि वो काम की तलाश में अड्डे पर था। तभी एक बाबू जी आए और बोले, ‘चलो, हम काम और 400-400 रुपये दिलाएंगे। जितने बन्दे हो उनको सबको ले चलो।’ पीड़ित ने कहा कि बाबू जी कह रहे थे कि वहां पर काम कुछ नहीं होगा तुम्हारा, बस तुमको बेड पर लेटकर नाटक करना पड़ेगा कि मरीज हो। उस शख्स के झांसे में आकर पीड़ित अपने 10-15 साथियों के साथ वहां चला गया।

इसके बाद मजदूरों को दोने में दलिया दिया गया, जिसको सभी ने खाया। फिर बेड पर लेटने के बाद सुई लगा दी गई, जिससे खून निकलने पर जब पीड़ित ने आपत्ति जताई तो वहां के लोगों ने कहा कि जब सुई लगाएंगे तभी मरीज लगोगे। पीड़ित ने कहा कि वे बाहर नहीं जाने दे रहे थे, यहां तक कि शौच के लिए भी जाने की अनुमति नहीं थी। पीड़ित की मानें तो कम से कम 250 लोगों के साथ ऐसा हुआ है।

पुलिस उपायुक्त पश्चिमी ने बताया कि ठाकुरगंज थाने में अंशु कुमार नाम के एक व्यक्ति, जो पेशे से मजदूर है, ने शिकायत की है कि एमसी सक्सेना ग्रुप ऑफ कॉलेज में काफी संख्या में मजदूरों को अलग-अलग जगह से ले जाया गया है। उनको 400-500 रुपए दिहाड़ी और खाने की व्यवस्था कर दिए जाने की बात कही गई थी। गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज संचालित करने के लिए एक हॉस्पिटल का संचालन करना अनिवार्य है। एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज अपने छात्रों की क्लिनिकल ट्रेनिंग आरआर सिन्हा हॉस्पिटल में करवाता था। हॉस्पिटल में भर्ती और मरीज सुविधा के आधार पर ही मान्यता विस्तारित की जाती है।

पुलिस के मुताबिक, जब मजदूर लोग हॉस्पिटल पहुंचे तो अचानक से उनका इलाज शुरू कर दिया गया और उनको वहां पर बंधक बनाया गया। मजदूरों को वहां से छोड़ा नहीं जा रहा था। उनके शरीर में दवाई और वीगो का प्रयोग किया गया। पुलिस को सूचना मिलते ही सीनियर ऑफिसर और आस-पास के दो-तीन थानों की फोर्स भेज दी गई है। बाद में सीएमओ की टीम भी वहां पहुंची जिसमें पता चला कि जो इलाज चल रहा था उसमें ये लोग बीमार नहीं थे। ये अवैध था और इसी आधार पर थाना ठाकुरगंज में मुकदमा लिखा गया है। इसमें डॉक्टर शेखर सक्सेना को पुलिस ने अरेस्ट कर लिया है और आगे की विधिक कार्रवाई की जा रही है।

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