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सिद्धार्थनाथ सिंह का अखिलेश पर निशाना, कहा- जिसके रग-रग में भ्रष्टाचार हो वह इससे इतर सोच भी नहीं सकता

लखनऊ। अपने कार्यकाल में पांच साल यूपी को लूट और घोटालों से बर्बाद कर देने वाले अखिलेश यादव एक बार फिर उन्हीं योजनाओं को लाने का वादा कर रहे हैं, जिनकी आड़ में उन्होंने भ्रष्टाचार का पोषण और संरक्षण देकर अपनी और अपने चहेतों की तिजोरी भरी। अखिलेश जी, जनता को बरगलाने निकले ही हैं तो जरा योजनाओं में हुई घोटाले की भारी भरकम धनराशि भी जनता को बता दीजिए।

यह बातें प्रदेश सरकार के प्रवक्ता और कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने गुरुवार को जारी एक बयान में कही। श्री सिंह ने सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से कैशलेश इलाज के चुनावी वादे पर तंज कसते हुए कहा कि सत्ता में रहने के दौरान 2000 करोड़ रुपये के एम्बुलेंस घोटाले को जनता अब तक भूली नहीं है। मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाली समाजवादी पार्टी के नए कोरे वादों में भी जनता को भ्रष्टाचार की ही बू आ रही है। युवाओं को बेरोजगारी भत्ता के नाम पर 20 करोड़ रुपये का नाश्ता पानी भी अखिलेश यादव सरकार की ही कारस्तानी रही है।

श्री सिंह ने अखिलेश यादव के पेंशन आदि को लेकर किए गए चुनावी वादों पर हमला बोलते हुए कहा कि जनता अब फिर घोटालेबाज पार्टी को मौका नहीं देने वाली। अखिलेश भले ही अपने किए घोटालों पर पर्दा डालने की कोशिश करें लेकिन जनता को एक-एक घोटाले के बारे में जानकारी है। 10.80 अरब रुपये के समाजवादी पेंशन घोटाले ने समाजवादी पार्टी की भ्रष्टाचार की संस्कृति को आगे बढ़ाया। 1173 करोड़ रुपये के लैपटॉप घोटाले, 1500 करोड़ रुपये के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले व 550 करोड़ रुपये के जेपीएनआईसी घोटाले ने अखिलेश को भ्रष्टाचार का रहनुमा साबित किया।

उन्होंने कहा कि यही नही, अखिलेश सरकार ने नई पेंशन स्कीम का दस हज़ार करोड़ रुपया जमा नही किया था। यह वह राशि है जो सरकार का योगदान होता है लेकिन सपा सरकार ने जमा ही नही किया था। उन्होंने कहा की योगी सरकार अगर यह न जमा करती तो आम जनता पेंशन योजनाओं से वंचित रह जाती। श्री सिंह ने कहा कि अखिलेश यादव ने पेंशन, कैशलेस इलाज आदि से जुड़ी जो भी चुनावी वादे किए हैं, उनके पीछे उनकी मंशा मोटी मलाई काटने की है। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी सपा, सपने में भी इसी बारे में सोचती है।

सच तो यह है कि अखिलेश के लिए अब सत्ता सपना है। पर वह सपने में भी उन्हीं योजनाओं के बारे में सोचते जिनमें सत्ता में रहते हुए उन्होंने करोड़ों और अरबों के घोटाले किए थे। उन्हीं योजनाओं को आगे बढ़ाने का मतलब भ्रष्टाचार का जारी रहना। जिसके रगों में भ्रष्टाचार का खून बह रहा हो। जो आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हो उससे इससे अधिक की उम्मीद भी नहीं की जा सकती। पर, ऐसी योजनाओं की आड़ में निजी तिजोरी भरने की चालबाजी अब चलने से रही। क्योंकि जनता उन्हें पांच साल पहले ही नकार चुकी है और इस चुनाव में भी उनका नकारापन ले डूबा है।

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