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पंडित बिरजू महाराज का लखनऊ से था गहरा नाता, विरासत में मिली थी लखनवी अदा और तहज़ीब

पंडित बिरजू महाराज लखनऊ घराने से ताल्लुक रखते थे। वह लखनऊ के कालका बिंदादीन घराने से थे। पंडित बिरजू महाराज को नृत्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 1983 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। इसके साथ ही इन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और कालिदास सम्मान भी मिला है।

लखनऊ घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। इनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। कथक नर्तक होने के साथ ही ये शास्त्रीय गायक भी थे। बिरजू महाराज के पिता अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज और लच्छू महाराज भी प्रसिद्ध कथक नर्तक थे।

अवध के दरबार में नृत्य करने वाले महाराज ने कई ठुमरी, होरी और भजनों की रचना की। लखनवी अदा और तहज़ीब उन्हें विरासत में मिली थी। वे एक ऐसे वंश से ताल्लुक रखते हैं, जिसमें कालका महाराज और बिंदादीन महाराज शामिल थे। इन दोनों को ही आधुनिक कथक के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। उनका नृत्य लखनऊ कालका-बिंदादीन घराने की विशेषताओं को परिभाषित करता है। इस शैली में शारीरिक सौंदर्य, लय और अभिनय का अनूठा संगम होता है। उनके नृत्य में बिजली सी गति थी। अफसोस, बिरजू महाराज का सोमवार की सुबह निधन हो गया।

बिरजू महाराज के निधन की खबर से देशभर में शोक की लहर है । कई जानी मानी हस्तियों ने सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी गहरा शोक व्यक्त किया है।

 

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