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जब कोई श्रीकाशी विश्वनाथ धाम आएगा तो यहां न केवल आस्था के दर्शन बल्कि अतीत के गौरव का एहसास भी करेगा: पीएम मोदी

लखनऊ। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज जनपद वाराणसी में शिलापट्ट का अनावरण कर नव्य एवं भव्य श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उपस्थित थे। इससे पूर्व, प्रधानमंत्री जी ने ललिताघाट पर गंगा जी में स्नान किया। उन्होंने गंगा जी से कलश में गंगा जल ले जाकर बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक एवं विधि-विधान से पूजन किया। प्रधानमंत्री जी ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम मन्दिर प्रांगण में पौधरोपण भी किया। उन्होंने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के निर्माण में योगदान करने वाले श्रमसाधकों पर पुष्प वर्षा कर उन्हें सम्मानित भी किया। कार्यक्रम के उपरान्त प्रधानमंत्री जी एवं मुख्यमंत्री जी ने श्रमिकों के साथ भोजन किया।

प्रधानमंत्री जी ने इस अवसर पर काशीवासियों को बधाई देते हुए कहा कि आज इस चिर चैतन्य काशी में नया स्पन्द है। जब भी कुछ पुण्य अवसर होता है, तो सारे तीर्थ, सारी दिव्य शक्तियां काशी में बाबा के पास एकत्र हो जाती हैं। यहां आकर मुझे ऐसा ही लग रहा है। आज शिव जी का प्रिय दिन है। आज की तिथि एक नया इतिहास रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि इस तिथि के साक्षी बन रहे हैं। काशी धाम आज अनन्त ऊर्जा से भरा है। इसका वैभव विस्तार ले रहा है। यहां के लुप्त हो गये मन्दिर पुनर्स्थापित किये जा चुके हैं। सदियों की सेवा से प्रसन्न बाबा ने हमें आशीर्वाद दिया है। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का नया परिसर एक भव्य भवन मात्र नहीं है। यह भारत की सनातन संस्कृति, हमारी आध्यात्मिक आत्मा, प्राचीनता, परम्पराओं, भारत की ऊर्जा और गतिशीलता का प्रतीक है। जब कोई यहां आएगा तो यहां न केवल आस्था के दर्शन बल्कि अतीत के गौरव का एहसास भी करेगा। प्राचीनता और नवीनता एक साथ कैसे जीवन्त हो उठी हैं। प्राचीन की प्रेरणा भविष्य को कैसे दिशा दे रही है। इसके साक्षात दर्शन श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर में हो रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज उन्होंने बाबा विश्वनाथ के साथ ही श्री काल भैरव का दर्शन कर देशवासियों के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया है। काशी में कुछ भी खास अथवा नया हो तो सबसे पहले काशी के कोतवाल से पूछना होता है। उन्होंने कहा कि काशी में प्रवेश के साथ ही व्यक्ति सभी बन्धनांे से मुक्त हो जाता है। जो माँ गंगा उत्तरवाहिनी होकर बाबा के पांव पखारने आती हैं, वह भी आज बहुत प्रसन्न होंगी। बाबा विश्वनाथ और माँ गंगा सबके हैं। उनका आशीर्वाद सबके लिए है। उन्होंने कहा कि पहले मन्दिर क्षेत्र केवल 03 हजार वर्गफीट में था, अब लगभग 05 लाख वर्गफीट का हो गया है। अब यहां मन्दिर परिसर में 50 से 70 हजार श्रद्धालु आ सकेंगे।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जब बनारस आया था, एक विश्वास लेकर आया था। अपने से ज्यादा विश्वास बनारस के लोगों पर था। काशी को अविनाशी बताते हुए उन्होंने कहा कि यहां एक ही सरकार है, जिनके हाथ में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो, उस काशी को कौन रोक सकता है। काशी में महादेव की इच्छा के बिना न कोई आता है, न कुछ होता है। यहां जो भी हुआ, महादेव ने किया है। बाबा के अलावा किसी का योगदान है तो बाबा के गणों का है, जो सारे काशीवासी हैं। कुछ करना होता है तो बाबा अपने गणों को माध्यम बनाते हैं। प्रधानमंत्री जी ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर के निर्माण में पसीना बहाने वाले श्रमिकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इन श्रमसाधकों ने कोरोना काल में भी कार्य रुकने नहीं दिया। उन्होंने कारीगर, सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े लोग, मन्दिर परिसर में जिनके घर थे, सभी का अभिनन्दन किया। उन्होंने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम परिसर निर्माण के लिए दिन-रात एक कर देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व की प्रदेश सरकार का अभिनन्दन भी किया।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पुराणों में प्राकृतिक आभा से युक्त काशी का वर्णन किया गया है। आततायियों ने इस नगरी पर आक्रमण किये। इस देश की मिट्टी बाकियोें से अलग है। यहां औरंगजेब आता है तो शिवाजी उठ बैठते हैं। सालार मसूद आगे बढ़ता है, तो महाराज सुहेलदेव जैसे वीर योद्धा उसे भारत की ताकत का एहसास करा देते हैं। ब्रिटिश काल में हेस्टिंग्स का क्या हश्र काशी के लोगों ने किया था, यह काशी के लोग ही जानते हैं। आतंक के पर्याय इतिहास के काले पन्ने तक सिमट कर रह गये। काशी आगे बढ़ रही है। अपने गौरव को नयी भव्यता दे रही है।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि काशी केवल शब्दों की बात नहीं है, यह संवेदनाओं की सृष्टि है। काशी वह है, जहां जागृति ही जीवन है, मृत्यु भी मंगल है, जहां सत्य ही संस्कार है, जहां प्रेम ही परम्परा है। यह वह जगह है, जहां भगवान शंकर की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना की थी। जगद्गुरु शंकराचार्य को श्री डोम राजा की पवित्रता से प्रेरणा मिली, उन्होंने देश को एक सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। यहां की धरती सारनाथ में भगवान बुद्ध का बोध संसार के लिए प्रकट हुआ। समाज सुधार के लिए कबीरदास जैसे मनीषी प्रकट हुए। समाज को जोड़ने की जरूरत थी तो संत रविदास जी की भक्ति की शक्ति का केन्द्र भी काशी बनी।

काशी अहिंसा, तप की प्रतिमूर्ति, चार जैन तीर्थंकरों की धरती है। राजा हरिश्चन्द्र की सत्यनिष्ठा से लेकर वल्लभाचार्य, रामानन्द जी के ज्ञान तक चैतन्य महाप्रभु, समर्थ गुरु रामदास से लेकर स्वामी विवेकानन्द, मदन मोहन मालवीय तक कितने ही ऋषियों, आचार्याें का सम्बन्ध काशी की धरती से रहा है। छत्रपति शिवाजी महाराज के चरण यहां पड़े थे। रानी लक्ष्मीबाई से लेकर चन्द्रशेखर आजाद तक कितने ही सेनानियों की कर्मभूमि, जन्मभूमि काशी रही। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, जयशंकर प्रसाद, मुंशी प्रेमचन्द, पं0 रविशंकर और बिस्मिल्लाह खां जैसी प्रतिभाएं यहां हुईं।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जब भी काशी ने करवट ली है, कुछ नया किया है। देश का भाग्य भी बदला है। बीते 07 वर्षाें से काशी में चल रहा विकास का महायज्ञ आज एक नयी ऊर्जा प्राप्त कर रहा है। उन्होंने कहा कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्ज्वल भविष्य की तरफ ले जाएगा। यह परिसर हमारे सामर्थ्य, हमारे कर्तव्य का साक्षी है। अगर सोच और ठान लिया जाए तो कुछ भी असम्भव नहीं है। हर भारतवासी की भुजाओं में वह बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है। चुनौती कितनी भी बड़ी क्यों न हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं। विनाश करने वालों की शक्ति, कभी भारत की शक्ति और भारत की भक्ति से बड़ी नहीं हो सकती।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि जैसी दृष्टि से हम खुद को देखेंगे, वैसी दृष्टि से विश्व हमें देखेगा। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि सदियों की गुलामी के प्रभाव से, हीनभावना से भारत बाहर निकल रहा है। आज का भारत सिर्फ सोमनाथ मन्दिर का सौन्दर्यीकरण ही नहीं करता, समुद्र में हजारों किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर भी बिछा रहा है। सिर्फ बाबा केदारनाथ मन्दिर का जीर्णाेद्धार ही नहीं, अंतरिक्ष में भारतीयों को भेजने की तैयारी में भी जुटा है। अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मन्दिर ही नहीं, देश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज भी बना रहा है। बाबा विश्वनाथ धाम को भव्य रूप ही नहीं दे रहा, गरीब के लिए करोड़ों पक्के घर बना रहा है। नये भारत को अपनी संस्कृति पर गर्व है और अपने सामर्थ्य पर भरोसा भी है। नये भारत में विरासत भी है और विकास भी।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज अयोध्या से जनकपुर आना-जाना आसान बनाने के लिए राम-जानकी मार्ग का निर्माण हो रहा है। भगवान श्रीराम से जुड़े स्थानों को रामायण सर्किट से जोड़ा जा रहा है। रामायण ट्रेन चलायी जा रही है। बुद्ध सर्किट पर भी काम हो रहा है। कुशीनगर में इण्टरनेशनल एयरपोर्ट बनाया गया है। करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण किया गया है। हेमकुण्ड साहिब का दर्शन आसान बनाने के लिए रोप-वे बनाने की तैयारी है। उत्तराखण्ड में चार धाम परियोजना पर भी तेजी से कार्य जारी है। भगवान विट्ठल के करोड़ों भक्तों के आशीर्वाद से संत ज्ञानेश्वर महाराज पालकी मार्ग, संत तुकाराम पालकी मार्ग कुछ हफ्ते पहले शुरु हो चुका है। केरल में गुरुवायुर मन्दिर, बंगाल में बेलूर मठ, गुजरात में द्वारिका जी, अरुणाचल प्रदेश का परशुराम कुण्ड, देश के अलग-अलग राज्यों में हमारी आस्था व संस्कृति से जुड़े अनेकों पवित्र स्थानों पर कार्य चल रहा है।

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज का भारत अपनी खोई विरासत फिर से संजो रहा है। काशी में माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं। उन्होंने काशी से चुरायी गयी माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा को एक शताब्दी के बाद फिर से काशी लाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि माता अन्नपूर्णा की कृपा से कोरोना के कठिन समय में देश ने अपने अन्न भण्डार खोल दिये। कोई गरीब भूखा न सोये, इसके लिए मुफ्त राशन का इंतजाम किया गया। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वे जनता-जनार्दन को ईश्वर का स्वरूप मानते हैं, इसलिए बाबा विश्वनाथ की पवित्र धरती से देशवासियों से तीन संकल्प, स्वच्छता, सृजन तथा आत्मनिर्भर भारत के लिए निरन्तर प्रयास मांग रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छता जीवनशैली होती है, अनुशासन होता है। यह कर्तव्यों की एक बहुत बड़ी श्रृंखला लेकर आती है। उन्होंने स्वच्छता के लिए प्रयासों को बढ़ाने पर बल देते हुए कहा कि बनारस में शहर, घाटों में स्वच्छता को नये स्तर पर ले जाना है। गंगा जी की स्वच्छता के लिए उत्तराखण्ड से लेकर बंगाल तक प्रयास चल रहे हैं। नमामि गंगे अभियान की सफलता के लिए सजग होकर काम करते रहना होगा।

प्रधानमंत्री जी ने आत्मविश्वास से सृजन करने, इनोवेट करने, इनोवेटिव तरीके से करने का आह्वान करते हुए कहा कि कोरोना के मुश्किल काल में भारत के युवाओं ने सैकड़ों स्टार्ट-अप बनाये। इतनी चुनौतियों के बीच 40 से भी ज्यादा यूनीकॉर्न यानी स्टार्ट-अप बनाये। एक यूनीकॉर्न करीब-करीब 07-07 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का है। यह पिछले एक डेढ़ साल में बना है। इतने कम समय में यह अभूतपूर्व है। उन्होंने कहा कि अब हर भारतवासी जहां भी है, जिस क्षेत्र में भी है, देश के लिए कुछ नया करने का प्रयास करेगा, तभी नये मार्ग बनेंगे। प्रधानमंत्री जी ने कहा कि हमारा तीसरा संकल्प आत्मनिर्भर भारत के लिए प्रयास करने का है। यह आजादी का अमृतकाल है। हम आजादी के 75वें साल में हैं, जब भारत 100 साल की आजादी का समारोह मनाएगा, तब का भारत कैसा होगा, इसके लिए अभी से काम करना होगा। इसके लिए हमारा आत्मनिर्भर होना जरूरी है। जब हम देश में बनी चीजों पर गर्व करेंगे, हम लोकल से वोकल होंगे, ऐसी चीजें खरीदेंगे, जिसे बनाने में किसी भारतीय का पसीना बहा हो, वह इस अभियान में मदद करेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि आज बाबा विश्वनाथ की अपार कृपा हम सभी पर बरस रही है। माँ गंगा प्रफुल्लित हैं। काशी के कोतवाल बाबा भैरवनाथ भी आह्लादित हैं। पूज्य संतों के आशीर्वाद तथा आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की अहेतुक अनुकम्पा, उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन में काशीवासियों सहित सभी देशवासियों की हजारों वर्षाें की तपस्या आज सार्थक हुई है। उन्होंने कहा कि श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण से पूरी काशी, हर भारतवासी, देश व दुनिया में भारत, भारत की संस्कृति, परम्परा एवं भारतीय सभ्यता का प्रत्येक अनुगामी प्रफुल्लित है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सभी जानते हैं कि काशी बाबा विश्वनाथ का धाम है। हजार वर्षाें से काशी ने जिन विपरीत परिस्थितियों का सामना किया है, उसका साक्षी काशीवासी सहित हर भारतवासी रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1777-1780 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने बाबा विश्वनाथ की पुनर्स्थापना में महती योगदान दिया। महाराजा रणजीत सिंह ने मन्दिर को स्वर्णमण्डित कराया। ग्वालियर की रानी ने भी मन्दिर में अपना योगदान किया। उन्होंने कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि प्रधानमंत्री जी के दूरदर्शी एवं यशस्वी नेतृत्व में काशी विश्वनाथ धाम का यह भव्य स्वरूप साकार हो रहा है और भारतीय संस्कृति एवं परम्परा को आगे बढ़ने का अवसर प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इसका अनुमान किया जा सकता है कि बाबा विश्वनाथ धाम की पुनर्स्थापना, अयोध्या में भगवान श्रीराम के मन्दिर के निर्माण की कार्यवाही प्रधानमंत्री जी के भारत के सनातन मूल्यों, सभ्यता और संस्कृति को वैश्विक मंच पर पुनर्स्थापित करने की उसी अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत योग की परम्परा तथा कुम्भ को दुनिया की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में मान्यता प्रदान कराने का कार्य किया गया है। पर्यटन, संस्कृति तथा धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 नीलकंठ तिवारी ने कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आज के इस पल की हजारों वर्षाें से प्रतीक्षा थी। माँ गंगा भी भगवान शिव का सीधा साक्षात्कार करने की प्रतीक्षा कर रही थीं। यह अवसर देने के लिए सभी प्रधानमंत्री जी का धन्यवाद दे रहे हैं।कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जी ने अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर प्रधानमंत्री जी का स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के निर्माण पर आधारित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी।

प्रधानमंत्री जी ने वाराणसी आगमन के पश्चात सबसे पहले काशी के कोतवाल श्री काल भैरव के मन्दिर पहुंचकर उनका दर्शन-पूजन कर आशीर्वाद लिया। इसके पश्चात, वे क्रूज द्वारा गंगा जी के रास्ते श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लिए रवाना हुए। प्रधानमंत्री जी ने ललिताघाट पर क्रूज से उतरकर गंगा जी में स्नान किया और कलश में जल लेकर पैदल ही श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहुंचे।इस अवसर पर केन्द्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री डॉ0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य, डॉ0 दिनेश शर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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