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कहीं आप भी तो नहीं हैं इम्पोस्टर सिंड्रोम का शिकार? ये हैं लक्षण

 

हमारे बीच ऐसे कई लोग मौजूद होते हैं जो अक्सर दूसरों से अपनी तुलना करके खुद को हमेशा कमजोर समझते रहते हैं और परेशान रहते हैं। ऐसे लोग की दशा मनोदशा इंपोस्टर सिंड्रोम नामक मनोवैज्ञानिक समस्या का कारण बन सकती है। इससे पीड़ित व्यक्ति के मन में हमेशा यह भम्र बना रहता है कि वह रंग-रूप, शिक्षा, करियर, आर्थिक-सामाजिक स्थिति की दृष्टि से अपने आसपास के लोगों की तुलना में काफी पीछे है या पिछड़ता जा रहा है। यही सोचकर वह इतना निराश हो जाता है कि खुद आगे बढ़ने की कोशिश भी नहीं करता और तनाव, डिप्रेशन से घिरता जाता है।

  लक्षण

–    आत्मविश्वास में कमी

– कोई भी काम शुरू करने से पहले मन में डर रहना

– अपनी योग्यता औऱ क्षमता पर संदेह करना

– हमेशा चिंतित और उदास रहना

– किसी भी काम की शुरुआत से पहले असफलता के बारे में सोचना आदि।

जिन लोगों की परवरिश बहुत ज्यादा संरक्षण भरे माहौल में होती है उनके व्यक्तित्व का विकास सही ढंग से नहीं होता और भविष्य में उन्हें ऐसी समस्या हो सकती है। इसके अलावा कुछ ऐसी घटनाओं जैसे- कोई गंभीर बीमारी, बिजनेस में बड़ा नुकसान या नौकरी छूटने के बाद कुछ लोगों का मनोबल टूट जाता है और वे इंपोस्टर सिंड्रोम के शिकार हो जाते हैं।

उपचार

अपनों से खुलकर बातचीत करें। अपनी परेशानियां करीबियों से जरूर शेयर करें।

– नियमित रूप से योग और मेडिटेशन करने की कोशिश करें। फिटनेस के साथ ही इससे मन शांत और तनावमुक्त रहता है।

– इन कोशिशों के बावजूद भी अगर मनोदशा में कोई सुधार न हो तो क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट से सलाह लें।

– आमतौर पर काउंसिलिंग से यह समस्या दूर हो जाती है।

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