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यूपी में कोविड-19 के दौरान औद्योगीकरण के प्रति बदलते माहौल में प्रचलित नीतियों की पुनः समीक्षा की जानी चाहिए: प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु एव मध्मय उद्यम, निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा है कि कोविड-19 के दौरान औद्योगीकरण के प्रति बदलते माहौल में प्रचलित नीतियों की पुनः समीक्षा की जानी चाहिए। परिस्थिति के हिसाब से पालिसी में भी बदलाव की आवश्यकता है। वर्तमान समय मंे कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण उद्यमियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस विषम परिस्थिति में उद्योगांे का और अधिक सहयोग की आवश्यकता है। सप्लाई चेन को कायम रखने के लिए विभाग द्वारा लागू नीतियों को और अधिक सरल किया जाये। उन्हांेने इसके लिए एक सप्ताह का समय भी निर्धारित किया।
श्री सिंह आज अपने आवास से एम0एस0एम0ई विभाग द्वारा संचालित योजनाओं की वर्चुअल समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में कोविड के कारण आक्सीजन की मांग बढ़ने पर प्रदेश के हर जिले में आक्सीजन प्लांट स्थापित किये जा रहे है। इसमें निजी क्षेत्र के साथ सरकार भी आक्सीजन प्लांट लगा रही है। जल्द ही उत्तर प्रदेश आक्सीजन उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन जायेगा। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के प्रथम चरण मंे उत्तर प्रदेश के भीतर बड़ी संख्या मंे पीपीई किट एवं सैनेटाइजर का उत्पादन शुरू हुआ, जबकि यह राज्य के लिए बिलकुल ही नया क्षेत्र था। उन्होेंने निर्देश दिए कि सम्भावित कोविड-19 की तीसरी लहर से बचाव की तैयारियां अभी से शुरू कर दी जायं। वेंटिलेटर सहित अन्य आवश्यक चिकित्सीय उपकरण बनाने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जाय। उनको हर प्रकार की सुविधा दी जाय और अधिक से अधिक मेडिकल इक्यूपमेंट बनाने वाली इकाइयों की स्थापना कराई जाय। उन्होंने कहा कि इसकी हर सप्ताह की समीक्षा भी की जायेगी।
अपर मुख्य सचिव, एम0एस0एम0ई डा0 नवनीत सहगल ने कहा कि पिछले साल कोरोना के कारण लगभग छः माह से ज्यादा समय तक कार्य प्रभावित रहा है, फिर भी रोजगारपरक योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य से अधिक की प्राप्ति की गई। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में लक्ष्य से बहुत आगे काम हुआ है। इसके लिए उन्होंने विभाग की पूरी टीम को बधाई और धन्यवाद भी दिया। साथ ही यह भी कहा कि वर्तमान समय बीते समय से ज्यादा चेलेंजिंग है, क्योंकि सामान्य गतिविधियां बंद और उद्योग धंधे चालू है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा संचालित सभी योजनाओं को आॅनलाइन कराने से उद्यमियों के बीच अच्छा संदेश गया है। इसका लाभ भी लोगों को मिल रहा है। उन्होंने निर्देश दिये कि पीएमईजीपी, ओडीओपी, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना सहित सभी योजनाओं के जितने भी ऋण आवेदन पहले से बैकों लम्बित है, बैंको से समन्वय बनाकर उनको डिस्बर्स कराया जाय। इससे छोटी-छोटी इकाइयों को बहुत बड़ा सहयोग मिलेगा।
डा0 सहगल ने यह भी कहा कि प्रदेश की निर्यातक इकाइयों को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाय। ओ0डी0ओ0पी0 के तहत आॅनलाइन एक्जीविशन आयोजित किये जाय। वर्चुअल गतिविधियों को विशेष बल दिया जाय। ओ0डी0ओ0पी0 योजना के तहत प्रदेश में स्थापित होने वाले सामान्य सुविधा केन्द्रों को समयबद्ध शुरू कराया जाय। उन्हांेने काह कि एमएसएमई एक्ट के तहत 72 घण्टे के अंदर इकाई स्थापना के लिए क्लीयरेंस उपलब्ध कराने की व्यवस्था है। साथ ही इकाईयों को सभी औपचारिकताएं पूर्ण करने के लिए 1000 दिन का समय भी दिया गया है। इस दौरान कोई भी विभाग इकाइयों को चेक नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को आवेदन करने से लेकर 72 घण्टे के अंदर क्लीयरंेस उपलब्ध कराया जाय। इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।
समीक्षा के दौरान आयुक्त एवं निदेशक उद्योग श्री गोविन्द राजू एन0एस0 सहित सभी जिलों के जीएमडीआईसी वर्चुअल जुड़े रहे।

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