Main Slideअन्तर्राष्ट्रीयतकनीकीराष्ट्रीयस्वास्थ्य

वैज्ञानिकों को चकमा दे रहा है कोरोना वायरस, बदल रहा है बार-बार शक्ल

कोरोना वायरस ने चीन से बाहर आकर अब पूरी दुनिया को अपना शिकार बना लिया है। इस वायरस से अबतक कुल 32 हजार लोगों की जान जा चुकी है, वहीं संक्रमितों की संख्या 6 लाख के पार पहुंच चुकी है। दुनिया के तमाम वैज्ञानिक इसकी वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं लेकिन इस दौरान उन्हें एक बात ने हैरान कर रखा है।

आठों स्ट्रेन पर दुनिया भर के वैज्ञानिक कर रहे हैं काम 

दरअसल, वैज्ञानिकों की परेशानी यह है कि यह वायरस लगातार म्यूटेट हो रहा है। आसान भाषा में इसका मतलब ये है कि वायरस बार-बार अपना रूप बदल रहा है। इस वायरस ने चीन के वुहान से निकलने के बाद से अब तक अपनी स्ट्रेन आठ बार बदली है। यानी रंग-रूप बदल रहा है। इन आठों स्ट्रेन पर दुनिया भर के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं।

सभी स्ट्रेन का दुष्प्रभाव एक जैसा

ये सभी आठों स्ट्रेन मिलते-जुलते हैं लेकिन मामूली अंतर के साथ। हालांकि, वैज्ञानिकों का दावा है कि कोई भी स्ट्रेन दूसरे स्ट्रेन से ज्यादा खतरनाक या जानलेवा नहीं दिखाई दे रहा है। सभी स्ट्रेन का दुष्प्रभाव एक जैसा ही है।

कोरोना
फोटो-गूगल

वायरस लगातार बदल रहा अपनी शक्ल और रूप 

डेली मेल वेबसाइट ने यूएसए टुडे के हवाले से बताया है कि यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के प्रोफेसर चार्ल्स चिउ ने बताया कि यह वायरस लगातार अपनी शक्ल और रूप को बदल रहा है। लेकिन अंदर से इसके RNA और DNA में थोड़ा ही बदलाव हो रहा है। अंदर ज्यादा बदलाव नहीं हो रहा है।

हर नया चेहरा उतना ही घातक है जितना कि उससे पहले वाला

वैज्ञानिक इस बात से भी हैरान है कि कोरोना का हर नया चेहरा उतना ही घातक है जितना कि उससे पहले वाला। लेकिन वैज्ञानिकों के सामने ये समझने की चुनौती है कि कौन से चेहरे ने सामुदायिक रूप से लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। उदाहरण के तौर पर कैलिफोर्निया में जो सामुदायिक संक्रमण फैला है, वह पिछले हो हफ्तों में एक स्ट्रेन के कोरोना वायरस से फैला। अमेरिका के ही दूसरे हिस्सों में फैले कोरोना वायरस के स्ट्रेन से कैलिफोर्निया का स्ट्रेन अलग है।

सभी आठ चेहरे अलग-अलग जरूर हैं लेकिन सैद्धांतिक रूप से ये एक ही

प्रो. चार्ल्स चिउ ने कहा कि सभी आठ चेहरे अलग-अलग जरूर हैं लेकिन सैद्धांतिक रूप से ये एक ही हैं। क्योंकि इनमें जो बदलाव आ रहा है वह बेहद धीमा है। कोरोना वायरस के जो स्ट्रेन बदल रहे हैं उनकी बदलने की गति 8 से 10 गुना कम है। जबकि फ्लू की ज्यादा होती है।

कोरोना वायरस के 30 हजार से ज्यादा जीनोम बेस पेयर की स्टडी

अब तक वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के 30 हजार से ज्यादा जीनोम बेस पेयर की स्टडी की है। इसमें से सिर्फ 11 बेस पेयर ही आपस में बदले हुए दिखे। यानी बेस पेयर में ज्यादा बदलाव नहीं है। बस ऊपरी तौर पर वायरस अपनी शक्ल में हल्का सा बदलाव लेकर आ रहा है।

कोरोना
फोटो-गूगल

लक्षणों में कोई अंतर नहीं

इसका मतलब ये है कि कोरोना वायरस अपनी शक्ल जरूर बदल रहा है। लेकिन उससे इसके लक्षणों में कोई अंतर नहीं आया है। बस एक ही दिक्कत आ रही है कि एक स्ट्रेन को लेकर वैक्सीन पर शोध होता है, तब तक दूसरा स्ट्रेन बन जाता है।

स्ट्रेन का असर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर

कोरोना की शक्लें बलदने से सबसे बड़ा खतरा ये है कि अगर एक स्ट्रेन किसी व्यक्ति को सिर्फ सामान्य रूप से परेशान कर रहा है, वही स्ट्रेन किसी दूसरे व्यक्ति के लिए जानलेवा साबित हो रहा है। यानी स्ट्रेन का असर व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है।

नेक्स्टस्ट्रेन डॉट ओआरजी

नेक्स्टस्ट्रेन डॉट ओआरजी नाम की एक वेबसाइट ने इन स्ट्रेन की स्टडी की है जिसे आप वेबसाइट पर जाकर कोरोना के सभी जाकर कोरोना वायरस की अलग-अलग शक्लों का रूप-रंग देख सकते हैं।

कनिका कपूर के चौथे कोरोना टेस्ट में सामने आई चौकाने वाली बात

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close