Main Slideजीवनशैलीराष्ट्रीय

स्वामी विवेकानंद के ये विचार इस दौर के बड़े मुद्दों का भी निकालतें हैं हल

आज स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन है, जिन्हें हम सभी युवा हम युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। स्वामी जी ने युवाओं से जुड़े कई मुद्दों पर भारत और अमेरिका में ओजस्वी व्याख्यान दिए हैं।125 साल पहले विवेकानंद की बातें आज कल भी सही लगती हैं, चाहे वह नागरिकता कानून हो या फिर जेएनयू हिंसा जैसा मुद्दे हों। 19 नवम्बर 1894 को विवेकानंद जी ने देश के युवाओं का आह्वान करते हुए एक पत्र लिखा था। इस पत्र के अंश हैं जो आज के कुछ बड़े मुद्दों के समाधान का रास्ता दिखाते हैं।

देखें उत्तराखंड की अन्य खबरें, हमारे Youtube चैनल पर –

धैर्य बहुत जरूरी

भारत को उठना होगा, शिक्षा का विस्तार करना होगा, स्वहित की बुराइयों को इस तरह धकेलना होगा कि वह टकराती हुई अटलांटिक महासागर में जा गिरे। चाहे ब्राह्मण हो चाहे संन्यासी हो, किसी ने अगर बुरा किया हो तो उसे क्षमा नहीं किया जाना चाहिये। धैर्य बहुत जरूरी है धैर्य द्वारा ही आप सफलता की सीढ़ी पर पहुँच सकते हैं।

देखें उत्तराखंड की अन्य खबरें, हमारे Youtube चैनल पर –

सबकुछ कह देना चाहिए ईश्वर के समक्ष

हे बच्चो, सबके लिये तुम्हारे हृदय में दर्द होना चाहिए। तुम गरीब, मूर्ख, पददलित मनुष्यों के दु:ख का अनुभव करो, समवेदना से तुम्हारा हृदय भरा हो। अगर कुछ भी संशय हो तो सबकुछ ईश्वर के समक्ष कह देना चाहिए, तुरन्त ही तुम्हे शक्ति, सहायता और अदम्य साहस की अनुभूति होगी।

बिना आजादी के उन्नति संभव नहीं

बिना आजादी के किसी तरह की उन्नति संभव नहीं है। हमारे पूर्वजों ने धार्मिक चिंता में हमें आजादी दी थी और उसी से हमें आश्चर्यजनक बल मिला है, पर उन्होने समाज के पैर बड़ी-बड़ी जंजीरों से जकड़ दिए और उसके फलस्वरूप हमारा समाज, थोड़े शब्दों में यदि कहें तो ये भयंकर और पैशाचिक हो गया है।

देखें उत्तराखंड की अन्य खबरें, हमारे Youtube चैनल पर –

प्रयत्न करते रहो

जब चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था तब भी मैं प्रयत्न करने को कहता था, अब तो कुछ प्रकाश नजर आ रहा है। अतः अब भी यह कहूंगा कि प्रयत्न करते रहो। वत्स, उरोमा अनंत नक्षत्र रचित आकाश की ओर भयभीत दृष्टि से मत देखो, वह हमें कुचल डालेगा।

इंसान का विकास करती है सच्ची शिक्षा

शिक्षा सिर्फ संघर्ष से लड़ने के लिए तैयार नहीं करती और न ही इंसान को सिर्फ मजबूत बनाती है। यह सही मायने में इंसान को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाती है। सच्ची शिक्षा इंसान का विकास करती है यह सिर्फ शब्दों का संग्रहण नहीं है।

बस आगे बढो

हे वीर हृदय युवाओं, साहसी बच्चों, आगे बढो- चाहे धन आए या न आए, आदमी मिलें या न मिलें, तुम्हारे पास प्रेम है। क्या तुम्हे ईश्वर पर भरोसा है? बस आगे बढो, तुम्हे कोई नहीं रोक सकेगा।

पहचानों अपने महान कर्तव्य को

“हे भाग्यशाली युवा, अपने महान कर्तव्य को पहचानों। इस अद्भुत सौभाग्य को महसूस करो। इस रोमांच को स्वीकार करो। मैं चाहता हूं कि हममें किसी प्रकार की कपटता, कोई दुरंगी चाल न रहे, कोई दुष्टता न रहे।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close