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उत्तराखण्ड प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाएगी त्रिवेंद्र सरकार

उत्तराखंड में भौगोलिक क्षेत्रफल 53.48 लाख हेक्टेयर में कृषि का क्षेत्रफल मात्र 11.21 प्रतिशत

भारत सरकार की ओर से उत्तराखंड को वर्ष 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी-2 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

इस मौके पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तराखण्ड को कृषि कर्मण पुरस्कार के लिए चयनित किए जाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुना करने का संकल्प दिया है। उत्तराखण्ड प्रधानमंत्री की ओर से दिए गए संकल्प को पूरा करने के लिए पूरी निष्ठा के साथ प्रयासरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड एक नवोदित राज्य है, जिसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53.48 लाख हेक्टेयर में कृषि का क्षेत्रफल मात्र 11.21 प्रतिशत है, इसका 56 प्रतिशत भाग पर्वतीय कृषि के अन्तर्गत आता है, जिसमें 89 प्रतिशत कृषि असिंचित और वर्षा आधारित है।

प्रदेश में 92 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त जोत के कृषक हैं। भारत सरकार के मार्ग-निर्देशन तथा प्रदेश के कृषकों एवं कृषि विभाग के प्रयास से उत्पादन में वृद्धि के फलस्वरूप प्रदेश अनाज उत्पादन में अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते हुए आत्मनिर्भर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना के पात्र लाभार्थियों की संख्या 8.38 लाख है, जिनमें से 6.84 लाख कृषक लाभान्वित किए जा चुके हैं, 6.72 लाख कृषकों को प्रथम किस्त, 6.56 लाख कृषकों को द्वितीय, 6.00 लाख कृषकों को तृतीय एवं 4.34 लाख कृषकों को चतुर्थ किस्त का भुगतान किया गया है, शेष कृषकों को भी योजना से जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री मानधन योजना में पात्र कृषकों का चयन कर उनके पंजीकरण की कार्यवाही चल रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में परम्परागत व पौष्टिक फसलों की खेती होती है, जो कि असिंचित दशा में भी अच्छा उत्पादन दे सकती हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उत्तराखण्ड प्रदेश को जैविक प्रदेश बनाने की अपेक्षा की गई है, इस लिए प्रदेश सरकार का लक्ष्य प्रथम चरण में पर्वतीय क्षेत्र को पूर्ण जैविक कृषि के अन्तर्गत आच्छादित किया जाए।

भारत सरकार के सहयोग से परम्परागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है, जिसके अन्तर्गत 89700 हेक्टेयर पी.जी.एस. के अन्तर्गत है, जिसमें परम्परागत फसलों, सब्जियों, फलों एंव जड़ी-बूटी के कलस्टर संचालित किए जा रहे हैं। वर्तमान में 34000 हेक्टेयर जैविक प्रमाणीकरण के अन्तर्गत है। आगामी 02 वर्षों में परम्परागत कृषि विकास योजना के संचालन से लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर जैविक प्रमाणीकरण के अन्तर्गत आ जाएगा, जिसमें निरन्तर वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है।

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