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सीएजी रिपोर्ट आने के बाद कांग्रेस को सरकार पर सवाल खड़े करने का मिला मुद्दा  

विधानसभा शीतकालीन सत्र के दौरान त्रिवेंद्र सरकार  कार्यकाल की पहली सीएजी रिपोर्ट आने के बाद  मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के 3 वर्ष के कार्यकाल पर सवाल उठने लगे हैं। सीएजी रिपोर्ट में स्वास्थ्य महकमे को लेकर हुए खुलासे ने कांग्रेस को सरकार पर सवाल खड़े करने का मुद्दा दे दिया है।

सीएजी रिपोर्ट

इस रिपोर्ट के उत्तराखंड में स्वास्थ्य महकमे का स्वास्थ्य ही गड़बड़ चल रहा है। रिपोर्ट में खुलासे से  पता चला ब्लड बैंकों के जरिए किस तरह स्वास्थ्य महकमा मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है जिससे सरकारी राजस्व को बड़े प्यार से चपत लगाई जा रही है।

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने मुख्यमंत्री के विभाग पर ऐसा खुलासा किया है। जिसे सुनकर हर कोई दांतो तले उंगली चबा लेगा। मामला मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा हुआ है। यूं तो यह विभाग लोगों को जीवन देने के लिए है। लेकिन रिपोर्ट में रखे गए तथ्य यह जाहिर करते हैं कि कैसे प्रदेश में ब्लड बैंक लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रहे है।

सीएजी रिपोर्ट

इससे भी बढ़कर यह कि स्वास्थ्य महकमा इस मामले पर सालों से सोया हुआ है। यह हालत तब है जब मुख्यमंत्री के पास ही स्वास्थ्य महकमा है और महकमे में तीन आईएएस को इसकी जिम्मेदारी दी गयी है। अब जानिए कैग के वो मुख्य बिंदु जो बेहद हैरान करने वाले हैं।

कैग की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में 2015 से लेकर 2018 तक कुल 35 में से 13 ब्लड बैंक बिना लाइसेंस के चल रहे है।रिपोर्ट में ब्लड बैंक को के ब्लड की टेस्टिंग पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। खून लेते वक्त खून की जांच प्रक्रिया को भी रिपोर्ट में संदिग्ध माना गया है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी कह की रिपोर्ट में लापरवाह करार दिया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 4 सालों में होने वाले 96 निरीक्षण में से महज 22 निरीक्षण ही किए गए हैं।

खून की थैलियों को बंद करने के लिए ट्यूब सीलर की कमी के चलते मोमबत्ती की लौ से इसे सील किए जाने की भी बात रिपोर्ट में कही गई है। ब्लड बैंकों में डोनर रजिस्टर नहीं होने और मास्टर रजिस्टर में भी कई खामियों के होने का पता चला है।

बॉन्ड के आधार पर एमबीबीएस करने वाले छात्रों से बांड के लिहाज से वसूली नहीं करने से राजस्व हानि की भी बात सामने आयी है।

कैग की रिपोर्ट सदन के पटल पर आने के बाद से ही विपक्ष इसको लेकर हमलावर है। विपक्षी दल कांग्रेस के मुताबिक प्रदेश में स्वास्थ्य की हालत बेहद खराब है और सरकार स्वास्थ्य विभाग को ठीक से नहीं चला पा रही है।

कैग की रिपोर्ट में जो मामला सामने आया है वह सीधे तौर पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने जैसा दिखाई देता है। बड़ी बात यह है कि  सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद भी सरकार इस मामले पर महज रिपोर्ट पढ़ने और इसके बाद कार्रवाई करने की बात कह रही है। अभी देखना दिलचस्प जरूर होगा जीरो टॉलरेंस की बात कहने वाले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सीएजी रिपोर्ट के खुलासे के बाद क्या कार्रवाई करते हैं।

 

 

 

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