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जानिए नवरात्रि में साधना करने वाले व्यक्ति रखें किन बातों का ध्यान

माता के शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो गए हैं। इस पावन पर्व का हमारे देश में बहुत महत्व है। नवरात्रि के इन पवित्र दिनों में कई लोग पूरे श्रद्धा और मन से माता की पूजा–अर्चना और साधना करते हैं वर्ष में चार नवरात्रियां यानि कि 36 रात्रियां होती हैं।

इसमें से चैत्र एवं अश्‍विन माह की नवरात्रियां गृहस्थों की साधना के लिए और आषाढ़ एवं पौष की नवरात्रियां साधुओं द्वारा की जा रही गुप्त साधना के लिए होती है। इन साधना के पीछे कई रहस्य छुपे हुए हैं आइये जानतें है साधना के कुछ महत्वपूर्ण रहस्यों के बारे में –

नवरात्र 2020 : जानिए हवन का महत्व

उपवास और व्रत

नवरात्र में उपवास और व्रत रखने का बहुत महत्व है। इन नौ दिनों में भोजन, मद्यमान, और मांस-भक्षण वर्जित माना गया है। उपवास रखकर ही आप साधना कर सकते हो।

रात्रियों में सिद्धि और साधना

नवरात्र शब्द से ‘नव अहोरात्र’ अर्थात महत्वपूर्ण रात्रियों का बोध होता है। इन रात्रियों में प्रकृति के कई अवरोध समाप्त हो जाते हैं। दिन की तुलना में अगर रात्रि में आवाज दी जाए तो वह बहुत दूर तक जाती है। इसी कारण इन रात्रियों में सिद्धि और साधना की जाती है।

साध्य देवी का चयन करना

अगर नवरात्रि में आप किसी भी तरह की साधना कर रहे हैं तो पहले आपको साध्य देवी का चयन करना होगा। देवियों में अम्बिका, सती, पार्वती, उमा, काली और दशमहाविद्याएं हैं। नवरात्रि में देवियों की ही साधना होती है।

सही ज्ञान और गुरु का होना

नवरात्र में भिन्न प्रकार की साधनाएं की जाती हैं पर दो प्रकार की साधनाएं सबसे खास होती है। पहली दक्षिणमार्गी साधना और दूसरी वाममार्गी साधना। गायत्री और योगसम्मत दक्षिणमार्गी साधनाएं होती है। शैव, नाथ और शक्त संप्रदाय में वाममार्गी यानि कि तांत्रिक साधनाएँ होती है। किसी भी तरह की साधना करने के लिए सही ज्ञान और गुरु का होना आवश्यक होता है।

सात्विक साधना

यह माँ दुर्गा की सात्विक साधना होती है। ये नौ दुर्गा है- 1.शैलपुत्री, 2.ब्रह्मचारिणी, 3.चंद्रघंटा, 4.कुष्मांडा, 5.स्कंदमाता, 6.कात्यायनी, 7.कालरात्रि, 8.महागौरी और 9.सिद्धिदात्री। इन देवियों की साधना और भक्ति को सामान्य ढंग से यज्ञ, हवन आदि से करना चाहिए।

तांत्रिक साधनाएं

कुछ तांत्रिक साधनाएं भी नवरात्रि में की जाती हैं। तांत्रिक साधनाओं में दशमहा विद्याओं की साधना करते हैं:- 1.काली, 2.तारा, 3.त्रिपुरसुंदरी, 4.भुवनेश्वरी, 5.छिन्नमस्ता, 6.त्रिपुरभैरवी, 7.धूमावती, 8.बगलामुखी, 9.मातंगी और 10.कमला देवी की पूजा करते हैं। विशेष रूप से इनकी साधनाएं गुप्त नवरात्र की जाती हैं।

योग्य तंत्र साधन

सर्वप्रथम आपको यह पता होना चाहिए कि आप तांत्रिक साधना किसलिए करना चाहते हैं? पुस्तकों का अध्ययन करने के बाद आपको किसी योग्य तंत्र साधन को खोजना चाहिए। यह आपको हिन्दू धर्म के संन्यासी समाज के विशेष 13 अखाड़ों के संन्यासियों में प्राप्त हो जाएंगे। उनके सानिध्य में रहकर ही तंत्र साधना करनी चाहिए।

गृहस्थ मनुष्य को साधारण साधना ही

नवरात्र में गृहस्थ मनुष्य को साधारण साधना ही करना चाहिए। इस समय उसे घट स्थापना करके, माता का दीप जलाकर चंडीपाठ, देवी महात्म्य परायण या दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए। इन नौ दिनों में माता के मंत्र का जाप करते हुए उपवास और संयम में रहना चाहिए। सप्तमी, अष्टमी और नौवमी के दिन कन्या पूजन करके उन्हें अच्‍छे से भोजन खिलाना चाहिए। अंतिम दिन विधिविधान से साधना और पूजा का समापन करके हवन कर दें।

सावधानियां 

अगर आपने 9 दिनों तक साधान का संकल्प ले लिया है तो उसे बीच में तोडना नहीं चाहिए। मन और विचार को पवित्र रखना चाहिए। छल, कपट प्रपंच और बेकार शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।

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