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वास्तु और नौ ग्रहों में इस तरह संतुलन स्थापित कर आप रहेंगे हर परेशानी से दूर

By balancing Vastu and nine planets in this way you will stay away from every problem

वास्तु और नौ ग्रहों में इस तरह संतुलन स्थापित कर आप रहेंगे हर परेशानी से दूर

 

मनुष्य का शरीर और ब्रम्हाण्ड पांच तत्वों से मिल कर बना हुआ है, इसी तरह भवन भी पांच तत्वों का मिश्रित स्वरुप है। अगर हम ब्रम्हाण्ड, मानव शरीर, और भवन इन तीनों में मौजूद पांच तत्वों में संतुलन स्थापित कर के रहते हैं तो जीवन में सदैव सुख समृद्धि को प्राप्त करते हैं।

जानिए क्या सम्बंध है नौ ग्रहों का वास्तु से

सूर्य

 

  • सूर्य पूर्व दिशा के स्वामी और अग्नि तत्व के कारक है।
  • साथ ही ये पिता के भी कारक हैं।
  • भवन में पूर्व दिशा का ऊॅचा होना या वहॉ पर दो छत्ती का निर्माण अगर हो तो उससे महिलाओं को हड्डी रोग और सरकारी कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

चन्द्र

 

  • चन्द्र जल तत्व के कारक और भवन में इनका ईशान कोण (पूर्व-उत्तर), होता है।
  • यह माता के कारक भी हैं।
  • चन्द्र मुख्य रूप से जल संग्रह का कार्य करते है।
  • इनके सन्तुलित होने से व्यक्ति को भौतिक सुख आसानी से मिलता है।

मंगल

 

  • मंगल अग्नि तत्व के कारक है।
  • और भवन में दक्षिण दिशा पर इनका विशेष प्रभाव होता है।
  • रसोई के पास में ,पूजाघर, शौचालय, बाथरूम और स्टोर रूम अगर एक साथ हो तो बहुत अशुभ माना जाता है।
  • इन जगहों को गन्दा रखने से घर के मुखिया को हार्ट अटैक होने सम्भावना रहती है।
  • रसोई घर आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) दिशा में होना चाहिए।

बुध

 

  • बुध ग्रह पृथ्वी तत्व के कारक है, और उत्तर दिशा पर इनका खास प्रभाव रहता है।
  • युवा और गणितज्ञ होने की वजह से इनका छात्रों की शिक्षा और बैठक रूम में अधिकार है।
  • इसलिये इन्हे भी शौचालय, रसोई घर, कबाड़ घर आदि से दूर रखना चाहिये।

गुरू

 

  • गुरु आकाश तत्व के कारक है और ईशान कोण के अधिकारी है।
  • भवन में जिस दिशा में पूजन गृह बनाया जाएगा उस स्थान पर इनका प्रतिनिधित्व होगा।
  • पूजन घर ईशान कोण में ही बनाए।

शुक्र

 

  • शुक्र चुम्बकत्व आकर्षण के कारक है, और इनकी दिशा आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) है।
  • यह आसुरों के देवता है, इनका सौन्दर्य तथा भोग विलास की चीजों  पर निवास स्थल है।
  • इस जगह को गन्दा रखने से विदेश यात्रा में बाधायें, महिलाओं के स्वास्थ्य पर धन का खर्चा एंव सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी हो जाती है।

शनि

 

  • शनि वायु तत्व के प्रतीक है, और इनकी पश्चिम दिशा है ।
  • शनि न्याय एंव अनुशासन प्रिय है जिस परिवार में अन्याय, अनुशासन, गंदगी, मदिरा का सेवन, झूठ आदि होगा वहॉ के सदस्यों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
  • घर की जिस दिशा में बेसमेन्ट, कूड़ा, अंधेरा, कबाड़ आदि होगा उस जगह पर इनका निवास स्थल माना जाता है।
  • पश्चिम दिशा को गन्दा करने से स्थान परिवर्तन, यात्रा में दुर्घटना, दाम्पत्य सुख में कमी, नौकरों का भाग जाना, घर में चोरी जैसी दिक्कतें होगीं।

राहु एंव केतु

 

  • राहू और केतु दोनो ग्रह नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) दिशा के प्रतीक हैं।
  • सीढ़ियों पर और लम्बी गलियों में इनका प्रतिनिधित्व रहता है। ये ऊर्जा के कारक है।
  • इन जगहों को गन्दा रखने से दुर्घटना, आत्महत्या, पाइल्स रोग, खून की कमी तथा महिलाओं को गर्भपात की दिक्कत हो जाती है।

 

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