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निर्यात नीति तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार की आदर्श पहल

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश में समन्वित निर्यात नीति तैयार करने में सभी स्टेक होल्डरों को सुझाव देने को कहा है। उन्होंने राज्य स्तर पर निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रभावी पहल एवं व्यवहारिक नीति निर्धारण पर भी बल दिया।

शुक्रवार को सुभाष रोड स्थित एक होटल में राज्य की निर्यात नीति बनाए जाने के संबंध में आयोजित स्टॉक होल्डर्स की कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि उत्तराखण्ड छोटा राज्य जरूर है, लेकिन यहां पर निर्यात की काफी संभावनाएं हैं। जरूरत है ऐसे क्षेत्रों की चिन्हित करने की। उत्तराखण्ड में नियार्तकों के अनुकूल अवस्थापना सुविधाओं के विकास की दिशा में भी पहल की जा रही है।

” जौलीग्रान्ट व पन्तनगर हवाई अड्डे के विस्तार के साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में गौचर, चिन्यालीसौड, नैनीसैनी हवाई अड्डो को और भी अधिक सुविधा जनक बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। देहरादून से वाराणासी, कलकत्ता के लिये भी हवाई सेवा की शुरूआत हो गई है।”  मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र  ने आगे कहा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा फोकस सर्विस सेक्टर पर है, राज्य में फार्मा, आटोमोबाइल आदि क्षेत्रों में व्यपाक संभावनाएं हैं। उद्योगों की सुविधा के लिये लॉजिस्टिक के क्षेत्र में भी काशीपुर व बीएचईएल में कार्य आरम्भ हुआ है। रेल सुविधाओं के विकास के साथ ही सड़क योजनाओं का विस्तार किया गया है, इससे आवागमन में सुविधा होगी।

पिथौरागढ़ में 50 एकड़ में टयूलिप गार्डन की स्थापना की जा रही है

उत्तराखण्ड में देश विदेश के पर्यटक आते हैं। हिमालयी उत्पादों को बढ़ावा एवं उनकी बेहतर मार्केटिंग से इसे आर्थिकी का साधन बनाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि राज्य में हनी वेली बनाने की दिशा में भी प्रयास किए जाएंगे इसके लिए जिले वार 13 कलस्टर तैयार कर इसके विपणन की व्यवस्था की जा सकती है। हिमालयी शहद की अन्तराष्ट्रीय बाजार में बड़ी मांग रहती है, इसी के दृष्टिगत फ्लोरिकल्चर को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। राज्य में बड़ी संख्या में ग्रोथ सेन्टरों की स्थापना का उद्देश्य परम्परागत खेती व परम्परागत उत्पादों को बढ़ावा देना तथा उनकी प्रोसेसिंग एवं मार्केटिंग पर ध्यान देना है।

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