राष्ट्रीयMain Slideराजनीति

तीन तलाक़ बिल को लेकर लोकसभा में मचा घमासान, सबरीमाला मंदिर को लेकर उठे सवाल

महिलाओं के हक़ के लिए सभी आवाज़ उठा रहें हैं। वहीं भाजपा सरकार अपने पिछले कार्यकाल से ही मुस्लिम महिलाओं के हक़ में तीन तलाक़ बिल को लाने की मांग कर रहे है। तीन तलाक़ बिल पिछली लोकसभा में पारित हो चुका था, लेकिन सोलहवीं लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के कारण और राज्य सभा में लंबित रहने के कारण यह निष्प्रभावी हो गया। अब सरकार इसे दोबारा सदन में लेकर आई है।

इस बिल को पेश करते वक़्त कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसे किसी भी जाती, धर्म या मजहब से जोड़ने से ज्यादा नारी के साथ न्याय और गरिमा का सवाल है। रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘2017 से तीन तलाक के 543 मामले विभिन्न स्रोतों से सामने आये हैं, जिनमें 229 से अधिक उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद आये। इसलिए कानून बनाना जरूरी है। प्रसाद ने कहा कि हमें लगता था कि चुनाव के बाद विपक्ष इस विधेयक की जरूरत को समझेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’

तलाक़

बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, ”शायरा बानू के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक़ का मामला मनमाना और असंवैधानिक है। यह सवाल न सियासत का है, न इबादत का, न धर्म का, न मजहब का। यह सवाल है नारी के साथ न्याय और गरिमा का। भारत के संविधान में आर्टिकल 15 लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं होने की बात कहता है।”

इस बिल का विरोध करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि यह समुदाय के आधार पर भेदभाव करता है। थरूर ने कहा, ‘मैं तीन तलाक़ का विरोध नहीं करता लेकिन इस बिल का विरोध कर रहा हूं। तीन तलाक़ को आपराधिक बनाने का विरोध करता हूं। मुस्लिम समुदाय ही क्यों, किसी भी समुदाय की महिला को अगर पति छोड़ता है तो उसे आपराधिक क्यों नहीं बनाया जाना चाहिए। सिर्फ मुस्लिम पतियों को सजा के दायरे में लाना गलत है। यह समुदाय के आधार पर भेदभाव है जो संविधान के खिलाफ है।’

तलाक़

एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने तीन तलाक बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन बताकर विरोध किया।ओवैसी ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एक बार में तीन तलाक़ से शादी खत्म नहीं हो सकती। मुस्लिम पति को 3 साल की सजा और दूसरों को एक साल की सज़ा, यह भेदभाव संविधान के खिलाफ है। ओवैसी ने सवाल किया कि अगर पति जेल में रहा तो महिलाओं को मैंटेनेंस कौन देगा? क्या सरकार देगी।

ओवैसी ने बिल को मुस्लिमों के साथ भेदभाव करने वाला और मुस्लिम महिलाओं के हित के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा आपको मुस्लिम महिलाओं से इतनी मोहब्बत है तो केरल की महिलाओं के प्रति मोहब्बत क्यों नहीं है? आखिर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को अंदर न जाने देने पर आपकी राय क्या है?

तीन तलाक बिल पेश किए जाने के दौरान स्पीकर ओम बिरला ने सदस्यों को आपस में बात न करने की गुज़ारिश कई बार की। उन्होंने सदस्यों से सदन की गरिमा बनाए रखने की बात कही। लेकिन जब उनकी इस बात पर अमल नहीं किया गया तो उन्होंने थोड़ी सख्ती से कहा कि जिन्हें आपस में बात करनी है वे गैलरी में चले जाएं।

रिपोर्ट – प्रियंका आर्या

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close