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भगत सिंह को फांसी होने की खबर सुनते ही क्या बोले थे महात्मा गांधी ?

1931 के 23 मार्च को भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई थी। उनकी फांसी पर महात्मा गांधी ने कहा था कि ‘भगत सिंह और उनके साथियों के शहीद होने से लाखों लोग दुखी हैं। मैं उनकी लगन की भूरि-भूरी प्रशंसा करता हूं। मैं देश के नवयुवकों को इस बात की चेतावनी देता हूं कि वे उनके पथ का अवलंबन न करें।

1931 के 23 मार्च को भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई थी।
1931 के 23 मार्च को भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई थी।

” हमें भरसक उनके अभूतपूर्व त्याग, अदम्य उत्साह और विकट साहस का अनुकरण करना चाहिए, परंतु उन गुणों का उपयोग उनकी तरह न करना चाहिए। देश की स्वतंत्रता हिंसा और हत्या से प्राप्त न होगी।” महात्मा गांधी ने कहा।

महात्मा गांधी का ये बयान 1931 में इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाले अखबार ‘भविष्य’ में छपा था। अंग्रेजी हुकूमत फांसी की खबरों वाले अखबारों के प्रसार को रोकना चाहती थी।

कई अखबारों की हजारों प्रतियां अभियान चलाकर जब्त कर ली गईं, लेकिन अलीगढ़ के श्याम बिहारी लाल ने ‘भविष्य’ अखबार की उस समय की प्रतियां अपने पास रख लीं, जो भविष्य में राष्ट्रीय आंदोलन के इतिहास को बयां करने का दस्तावेज बनीं।

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