उत्तराखंडMain Slideप्रदेशराष्ट्रीय

रोया पहाड़ : सियाचीन ग्लेशियर में तैनात उत्तराखण्ड का लाल शहीद

उत्तराखण्ड ने फिर अपना एक लाल देश सेवा के दौरान खो दिया है, जानकारी के अनुसार सियाचीन ग्लेशियर में तैनात 6 महर रेजीमेंट के हवलदार की इलाज के दौरान मौत हो गई। जवान का पार्थिव शरीर घर पहुंचते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।
रिश्तेदार और पड़ोसी शोकाकुल परिजनों को ढाढस बधा रहे है। गुरुवार को सोमेश्वर में सैन्य समान के साथ जवान का अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान अंतिम विदाई देने के लिए पूरा जन सैलाब उमड़ पड़ा।  अल्मोड़ा जिले के मल्लाखोली गाँव के निवासी शिवराज सिंह बोरा (38) पुत्र गोविन्द सिंह 9 मार्च को ड्यूटी के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते बेहोश हो गए थे। उन्हें पहले प्रतापपुर के हॉस्पिटल और फिर चंडीगढ़ के कमांड हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।

सियाचीन ग्लेशियर में तैनात उत्तराखण्ड का लाल शहीद

शरीर में रक्त जमाव के कारण हवलदार शिवराज ने 12 मार्च की शाम उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। जिसके बाद गुरुवार को दिवंगत सैनिक का पार्थिव शरीर उनके गांव मल्लाखोली पहुंचा।
अंतिम यात्रा में कई ग्रामीणों के साथ ही अल्मोड़ा से पहुंची 13वीं सिख रेजीमेंट और पार्थिव शरीर लेकर पहुंचे महर रेजीमेंट के सैनिक शामिल रहे। कोसी सांई संगम स्थित डौल बगड़ घाट में सेना के जवानों ने सशस्त्र गार्ड ऑफ़ ऑनर के साथ अंतिम सलामी दी गई।
जवान के चाचा नंदन सिंह बोरा, त्रिलोक सिंह बोरा और हरीश बोरा ने मुखाग्नि दी। जवान अपने पीछे दो मासूम बच्चो को छोड़ गए है, जहाँ पुत्र साहिल बोरा(7) और पुत्री इशिता बोरा(5) का पिता की इस दुखद खबर से रो- रोकर बुरा हाल है वही पत्नी पत्नी सुनीता और माता सरवस्ती देवी बार बार बेसुध हो जा रही है। बताते चले की शिवराज बोरा का एक भाई और एक बहन हैं।
तीन भाई बहनों में वह सबसे बड़े थे। उन्होंने 19 वर्ष तक देश की सीमाओं में डटकर देश सेवा की और वर्तमान में वह अति दुर्गम क्षेत्र सियाचीन ग्लेशियर-2 में तैनात थे। मौजूदा समय  में उनकी पत्नी और बच्चे मध्य प्रदेश के सागर में रहते थे और बेटा वहीं केंद्रीय विद्यालय में पढ़ता है।
Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close