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‘वो मेरा बलात्कार करते रहे, जब तक मैं अपने होशो-हवास न खो बैठी थी’

25 साल की नादिया को आतंकी संगठन ISIS द्वारा महिलाओं के साथ रेप जैसे जघन्यतम जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाने के लिए नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। नादिया का उनकी बहन के साथ अपहरण किया गया था। आइए जानते हैं नादिया मुराद के के बारे में।

नादिया मुराद उत्तरी इराक के कोचो प्रांत की रहने वाली हैं। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने 2014 में नादिया का अपहरण कर लिया था और तीन महीने तक बंधक बनाकर उनके साथ रेप किया था। उस वक्त नादिया की उम्र सिर्फ 21 साल थी। लेकिन आतंकियों के कब्जे से छूटकर किसी तरह शरणार्थी बनकर जर्मनी पहुंच गईं।

नादिया मुराद उत्तरी इराक के कोचो प्रांत की रहने वाली हैं
नादिया मुराद उत्तरी इराक के कोचो प्रांत की रहने वाली हैं ( फोटो – GOOGLE )

 

जर्मनी में नादिया को आसरा मिला तो उन्होंने अपनी आपबीती को एक किताब के माध्यम से दुनिया के सामने साझा किया। उन्होंने अपनी किताब ‘द लास्ट गर्ल : माई स्टोरी ऑफ कैप्टिविटी एंड माय फाइट अगेंस्ट द इस्लामिक स्टेट’ में बताया है कि किस तरह इस्लामिक स्टेट ने उनकी जिंदगी तबाह कर दी थी।

मुराद अपनी पुस्तक में बताती हैं कि उन्होंने कई बार IS के चंगुल से भागने की कोशिश की और कई बार पकड़ी गईं। जब भी वह भागते हुए पकड़ ली जातीं, उनके साथ सामूहिक बालत्कार किया जाता।

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नादिया ने बताया –

एक बार मैं मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहनी जानी वाली पोशाक पहनकर भागने की कोशिश की, लेकिन एक गार्ड ने मुझे पकड़ लिया। उसने मुझे मारा और छह लड़ाकों की अपनी सेंट्री को सौंप दिया। उन सभी ने मेरे साथ तब तक बलात्कार किया, जब तक मैं होशो-हवास न खो बैठी थी।

मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझमें और रवांडा की किसी महिला में कोई बात एक सी होगी। इन सब वाकयों से पहले मुझे पता भी नहीं था कि रवांडा कोई देश है। लेकिन अब मुझमें और उनमें एक संबंध है। हम सभी युद्ध के पीड़ित हैं।

मुझे पकड़कर ले जाया जाता था वहां निचली मंजिल पर एक रजिस्टर में सभी महिलाओं के नाम दर्ज किए जाते थे। मैं सिर झुकाकर बैठ गई थी और फिर कुछ पैर मेरी तरफ आते दिखे। मैं उन पैरों लिपट गई और मदद की भीख मांगती रही, लेकिन किसी को मुझपर रहम नहीं आया।

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